गिल पर गिरी गाज और सूर्या को मिली माफी? भारतीय क्रिकेट में फिर छिड़ गई दोहरे मापदंड की बहस
News India Live, Digital Desk : भारतीय क्रिकेट में इन दिनों भूचाल आया हुआ है। बात जब टीम सिलेक्शन की होती है, तो हमेशा कुछ न कुछ विवाद होता ही है, लेकिन इस बार मामला थोड़ा ज्यादा गर्म है। खबर यह है कि भारतीय टीम के 'प्रिंस' कहे जाने वाले शुभमन गिल (Shubman Gill) को टीम से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है, जबकि टी20 कप्तान सूर्यकुमार यादव (Suryakumar Yadav) खराब फॉर्म के बावजूद अपनी जगह बचाने में कामयाब रहे हैं।
इस खबर ने क्रिकेट प्रेमियों को दो गुटों में बांट दिया है। हर किसी की जुबान पर बस एक ही सवाल है "अगर नियम परफॉरमेंस का है, तो वो सबके लिए बराबर क्यों नहीं है?"
गिल का खराब दौर और कड़ा एक्शन
इसमें कोई शक नहीं कि शुभमन गिल पिछले कुछ समय से अपने बल्ले से वो कमाल नहीं दिखा पा रहे हैं, जिसके लिए वो जाने जाते हैं। टी20 हो या अन्य फॉर्मेट, उनके रन का सूखा चयनकर्ताओं की आंखों में चुभ रहा था। गिल को भारतीय क्रिकेट का भविष्य माना जाता है, लेकिन लगातार मौके मिलने के बाद भी फेल होना उन्हें भारी पड़ गया। मैनेजमेंट ने कड़ा फैसला लेते हुए उन्हें ड्रॉप करने का मन बना लिया है, ताकि उन्हें डोमेस्टिक क्रिकेट में जाकर अपनी फॉर्म सुधारने का वक्त मिले।
यहाँ तक तो सब ठीक लगता है, क्योंकि क्रिकेट में कहा जाता है "You are as good as your last inning."
लेकिन फिर सूर्या पर मेहरबानी क्यों?
विवाद की असली जड़ यहाँ है। आँकड़े देखे जाएं तो सूर्यकुमार यादव का हालिया फॉर्म भी कुछ खास नहीं रहा है। कई मैचों में उनका बल्ला खामोश रहा और वे सस्ते में पवेलियन लौटे। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि अगर "खराब फॉर्म" की वजह से गिल बाहर जा सकते हैं, तो सूर्या टीम में क्यों बने हुए हैं?
इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण उनका "कप्तान" होना बताया जा रहा है।
क्रिकेट के जानकार दबी जुबान में कह रहे हैं कि भारतीय क्रिकेट में अक्सर 'कप्तानी का कवच' (Captaincy Shield) खिलाड़ियों को बचा लेता है। चूंकि सूर्या टी20 टीम की कमान संभाल रहे हैं, इसलिए चयनकर्ताओं के लिए उन्हें ड्रॉप करना मुश्किल है। एक कप्तान को बीच में हटाना टीम के मोराल को गिरा सकता है, शायद यही सोचकर उन्हें 'लॉन्ग रोप' (लंबे मौके) दी जा रही है।
फैंस बोले- "यह तो नाइंसाफी है"
सोशल मीडिया पर फैंस का गुस्सा फूट पड़ा है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या कप्तान होने का मतलब यह है कि आपकी जगह की गारंटी हो गई?
एक यूजर ने लिखा, "गिल यंग है, उसे सपोर्ट की जरूरत थी। सूर्या सीनियर हैं और कप्तान हैं, तो क्या उनके लिए नियम अलग होंगे?" यह बहस "Double Standards" यानी दोहरे मापदंड पर आ रुकी है।
आगे की राह क्या?
बीसीसीआई और चयन समिति का संदेश साफ़ है टीम में किसी की जगह परमानेंट नहीं है (शायद कप्तान को छोड़कर!)। शुभमन गिल के लिए यह एक झटका जरूर है, लेकिन यह उनके करियर का अंत नहीं। कई बड़े खिलाड़ी ड्रॉप होने के बाद और मजबूत होकर लौटे हैं। लेकिन बड़ा सवाल अभी भी हवा में है क्या टीम इंडिया में स्टार पावर और ओहदा, परफॉरमेंस पर भारी पड़ रहा है?
खैर, क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। अब देखना यह होगा कि गिल अपनी वापसी कैसे करते हैं और क्या सूर्या अपने आलोचकों को बल्ले से जवाब दे पाएंगे या फिर उन पर भी गाज गिरेगी।
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