गरुड़ पुराण की चेतावनी दूसरों का हक मारने वाले और चरित्र से गिरने वालों के लिए तैयार हैं ये भयानक सजाएं

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News India Live, Digital Desk : हम अक्सर बचपन से सुनते आ रहे हैं कि "जैसे कर्म करोगे, वैसा फल मिलेगा।" लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इन कर्मों का हिसाब-किताब आखिर होता कहां है और कैसे होता है? हिंदू धर्म का पवित्र ग्रंथ, गरुड़ पुराण, इसी रहस्य से पर्दा उठाता है।

गरुड़ पुराण वास्तव में भगवान विष्णु और उनके वाहन पक्षीराज गरुड़ के बीच हुई एक गहन बातचीत है। इसमें बताया गया है कि जब इंसान अपना शरीर छोड़ता है, तो उसके कर्म ही तय करते हैं कि उसे स्वर्ग का सुख मिलेगा या नरक की यातनाएँ। यह पढ़ने में शायद थोड़ा डरावना लगे, लेकिन इसका असल मकसद इंसान को गलत रास्ते से रोककर धर्म और सच्चाई की राह पर चलाना है।

आइए, आसान भाषा में जानते हैं कि गरुड़ पुराण में किन बुरे कर्मों के लिए किस तरह की 'सजा' का जिक्र किया गया है।

1. दूसरों का हक़ मारने वाले (धोखाधड़ी करना)
गरुड़ पुराण के अनुसार, जो लोग जीवन भर दूसरों को धोखा देते हैं, उनकी संपत्ति हड़पते हैं या कमजोरों का शोषण करते हैं, उनके लिए नरक में बहुत कठिन सजाएं बताई गई हैं। माना जाता है कि ऐसे लोगों की आत्मा को शांति नहीं मिलती और उन्हें तामिस्त्र नामक नरक में यमदूतों के कोड़े और कष्ट सहने पड़ते हैं। यह इस बात का संकेत है कि बेईमानी का धन कभी फललता-फूलता नहीं है।

2. रिश्तों की मर्यादा तोड़ने वाले
हमारे समाज में बड़ों और गुरुओं का सम्मान सबसे ऊपर रखा गया है। पुराणों के मुताबिक, जो लोग अपने माता-पिता, बुजुर्गों या गुरु का अपमान करते हैं, या फिर उन्हें अपशब्द कहते हैं, उनके लिए यमराज के पास माफी नहीं है। ऐसे लोगों को परलोक में बहुत अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जहाँ उन्हें प्यास और भूख से तड़पना पड़ सकता है।

3. पराई स्त्री या पुरुष पर बुरी नजर
चरित्र की पवित्रता को गरुड़ पुराण में बहुत महत्व दिया गया है। जो पुरुष या स्त्री अपनी मर्यादा भूलकर पराए साथी के साथ संबंध बनाते हैं या बुरी नीयत रखते हैं, उनके लिए सबसे भयानक सजाओं का वर्णन है। प्रतीकात्मक रूप से कहा गया है कि ऐसे लोगों को 'लोह शंकु' (तपती हुई लोहे की मूर्तियों) से आलिंगन कराया जाता है। यह प्रतीकात्मक डर इसलिए है ताकि समाज में पवित्रता बनी रहे।

4. जानवरों के साथ क्रूरता
जो लोग बेजुबान जानवरों को सताते हैं या अपने स्वाद और शौक के लिए निरपराध जीवों की हत्या करते हैं, उनका हिसाब भी मृत्यु के बाद होता है। गरुड़ पुराण कहता है कि जो दूसरों को दर्द देता है, उसे अंत में वही दर्द भोगना पड़ता है। इसे 'कुंभीपाक' नरक की यातना से भी जोड़ा जाता है।

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