अमेरिका से दोस्ती, चीन से गद्दारी: पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रंप को अरब सागर में नया बंदरगाह बनाने का प्रस्ताव दिया
पाकिस्तान न्यूज़: पाकिस्तान के सेल्समैन जनरल कहे जाने वाले फील्ड मार्शल असीम मुनीर एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, मुनीर ने अब अमेरिका को एक नया ऑफर दिया है। अरब सागर पर नया बंदरगाह बनाने का मौका अमेरिकी निवेशकों को भी मिला है। सवाल यह है कि क्या यह कदम चीन के खिलाफ एक चाल है या पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था को बेचने की कोशिश?
फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने अमेरिका को बलूचिस्तान के पासनी बंदरगाह पर एक नया बंदरगाह बनाने और विकसित करने की पेशकश की है। यह वही इलाका है जो चीन समर्थित ग्वादर बंदरगाह से सिर्फ़ 70 मील और ईरानी सीमा से लगभग 100 मील दूर है। ऐसे समय में, इस सौदे को न केवल आर्थिक, बल्कि भू-राजनीतिक शतरंज में एक नया कदम भी माना जा रहा है।
ट्रम्प को दिया गया सुनहरा प्रस्ताव
रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रस्ताव सितंबर में व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ द्वारा दिया गया था। उस बैठक में शरीफ़ ने अमेरिकी कंपनियों को कृषि, प्रौद्योगिकी, खनन और ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश के लिए आमंत्रित किया था। उस बातचीत के बाद, मुनीर के सलाहकारों ने पासनी बंदरगाह परियोजना का प्रस्ताव अमेरिकी अधिकारियों को सौंपा।
कोई सैन्य अड्डा नहीं, सिर्फ लाभ।
एफटी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्ताव में साफ़ तौर पर कहा गया है कि अमेरिका को इस बंदरगाह पर सैन्य अड्डा बनाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी। इसके बजाय, योजना यह है कि अमेरिकी निवेशक इस परियोजना को विकास वित्त के तहत तैयार करें ताकि बंदरगाह से एक रेल नेटवर्क जोड़ा जा सके, जो पश्चिमी पाकिस्तान के खनिज-समृद्ध इलाके तक जाएगा। यानी मुनीर की रणनीति साफ़ है कि चीन को किनारे रखा जाए और अमेरिका के साथ खनिज सौदेबाज़ी का एक नया रास्ता खोला जाए।
चीन का ग्वादर, अब अमेरिका का दर्रा?
चीन पहले ही अरब सागर पर अपने रणनीतिक गढ़ के रूप में ग्वादर बंदरगाह विकसित कर चुका है, लेकिन अब पाकिस्तान अमेरिका को यह बंदरगाह देकर बीजिंग को ठेंगा दिखाने की तैयारी कर रहा है। यह कदम चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की दिशा बदल सकता है। जानकारों के अनुसार, यह प्रस्ताव इस्लामाबाद की दो-तरफ़ा नीति को दर्शाता है। एक तरफ़, वह चीन से कर्ज़ लेना चाहता है और दूसरी तरफ़, अब वाशिंगटन के साथ भी हाथ मिला रहा है।
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