चुनाव से पहले ही तेजस्वी का गेम बिगड़ा? कुशवाहा नेता की बगावत से सीवान में RJD को बड़ा नुकसान
News India Live, Digital Desk: बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही पार्टियों के अंदर टिकट को लेकर खींचतान और बगावत का दौर भी शुरू हो गया है. इसकी सबसे बड़ी झलक सीवान में देखने को मिली है, जहां RJD और तेजस्वी यादव को एक बहुत बड़ा झटका लगा है. पार्टी के ज़िलाध्यक्ष और कुशवाहा समाज के बड़े नेता माने जाने वाले बिपिन कुशवाहा ने टिकट न मिलने से नाराज़ होकर अपने पद और पार्टी की सदस्यता से ही इस्तीफ़ा दे दिया है.
चुनाव से ठीक पहले एक ज़िलाध्यक्ष का पार्टी छोड़ना, RJD के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. बिपिन कुशवाहा का यह कदम सीवान ज़िले में पार्टी के चुनावी समीकरण को बुरी तरह बिगाड़ सकता है.
क्यों हुए नाराज़ बिपिन कुशवाहा?
बिपिन कुशवाहा लंबे समय से पार्टी के एक वफ़ादार सिपाही माने जाते रहे हैं. वह ज़िले में पार्टी को ज़मीनी स्तर पर मज़बूत करने में लगे थे और इस बार विधानसभा चुनाव में टिकट के सबसे प्रबल दावेदारों में से एक थे. लेकिन, सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने उनकी जगह किसी और को उम्मीदवार बनाने का मन बना लिया था.
जैसे ही यह खबर बिपिन कुशवाहा तक पहुंची, उनका सब्र जवाब दे गया. उन्होंने इसे सिर्फ अपना ही नहीं, बल्कि पूरे कुशवाहा समाज का अपमान बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी अब ज़मीन पर मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं की जगह पैसे वाले और बाहरी लोगों को तरजीह दे रही है.
अब दिखाएंगे अपनी 'ताकत'
इस्तीफ़ा देने के बाद बिपिन कुशवाहा ने कहा, "मैंने सालों तक खून-पसीने से पार्टी को सींचा. लेकिन जब सम्मान की बात आई, तो पार्टी ने हमें नज़रअंदाज़ कर दिया. यह सिर्फ़ मेरा नहीं, मेरे समाज का अपमान है. अब हम अपनी ताकत दिखाएंगे."
उन्होंने ऐलान किया है कि वह जल्द ही अपने समर्थकों के साथ बैठकर आगे की रणनीति तय करेंगे. माना जा रहा है कि वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं या फिर किसी दूसरे गठबंधन का दामन थाम सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो वह RJD के ووٹروں में बड़ी सेंधमारी कर सकते हैं.
तेजस्वी के लिए क्यों है यह बड़ा झटका?
- कुशवाहा वोट बैंक: बिपिन कुशवाहा का जाना RJD के 'Luv-Kush' (कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण को साधने की कोशिशों पर पानी फेर सकता है.
- संगठन में कमज़ोरी: चुनाव से ठीक पहले ज़िला अध्यक्ष का जाना यह संदेश देता है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है.
- बगावत का डर: उनका यह कदम पार्टी के दूसरे नाराज़ नेताओं को भी बगावत करने के लिए उकसा सकता है.
यह घटना तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ी चुनौती है. अब देखना यह होगा कि वह इस बगावत को कैसे शांत करते हैं और सीवान में पार्टी को होने वाले नुकसान को कैसे रोकते हैं.
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