Employee Alert : क्या आप भी चाहते हैं ज्यादा In-Hand Salary? तो पीएफ खाते में होने वाला है ये बदलाव
News India Live, Digital Desk : नौकरीपेशा इंसान की जिंदगी में सबसे बड़ा सस्पेंस हर महीने की पहली तारीख को होता है। जब मोबाइल पर "Salary Credited" का मैसेज आता है, तो कई बार चेहरा लटक जाता है। हम सोचते हैं, "यार, सीटीसी (CTC) तो लाखों का था, लेकिन हाथ में कट-कटाकर इतना कम क्यों आया?"
इसका सबसे बड़ा कारण होता है EPF (एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड) यानी पीएफ कटना। आजकल नए वेज कोड (Wage Code) और पीएफ नियमों को लेकर काफी चर्चा है। सवाल यह है कि क्या पीएफ का हिस्सा कम होने से आपकी इन-हैंड सैलरी बढ़ सकती है? या फिर इसमें कोई पेंच है?
आइए, बिल्कुल देसी और आसान भाषा में समझते हैं कि आपकी जेब पर इसका क्या असर पड़ने वाला है।
1. पीएफ का बेसिक नियम क्या है?
पहले यह समझते हैं कि अभी क्या होता है। नियम के मुताबिक, आपकी बेसिक सैलरी (Basic Salary) + महंगाई भत्ता (DA) का 12% हिस्सा आपके पीएफ खाते में जमा होता है। उतनी ही रकम आपकी कंपनी (Employer) भी जमा करती है।
यही वह हिस्सा है जो आपकी टोटल सैलरी में से हर महीने काट लिया जाता है और आपको 'इन-हैंड' सैलरी मिलती है।
2. 'इन-हैंड सैलरी' और 'पीएफ' का उल्टा रिश्ता
यह सीधा-साधा गणित है, जिसे एक तराजू की तरह समझें:
- अगर पीएफ ज्यादा कटेगा तो हाथ में आने वाली सैलरी (Take Home) कम हो जाएगी।
- अगर पीएफ कम कटेगा तो हाथ में आने वाली सैलरी बढ़ जाएगी।
अब चर्चा यह है कि अगर नियमों के तहत 'न्यूनतम सीमा' (Minimum Capping) या वेज सीलिंग (15,000 रुपये) के हिसाब से पीएफ काटा जाए, तो कर्मचारियों के हाथ में खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा आ सकता है।
3. नया नियम या वेज कोड क्या कहता है? (The Twist)
सरकार का जो नया वेज कोड (Code on Wages) चर्चा में है, उसका फंडा थोड़ा अलग है। इसमें प्रावधान है कि आपकी बेसिक सैलरी, कुल सीटीसी की कम से कम 50% होनी चाहिए।
अभी ज्यादातर कंपनियां टैक्स बचाने और पीएफ कम काटने के लिए 'बेसिक सैलरी' को कम रखती हैं और 'अलाउंस' (भत्ते) ज्यादा रखती हैं।
अगर यह नियम सख्ती से लागू हुआ तो क्या होगा?
- आपकी बेसिक सैलरी बढ़ जाएगी।
- बेसिक बढ़ेगी, तो उसका 12% यानी पीएफ का पैसा भी ज्यादा कटेगा।
- नतीजा: आपके हाथ में आने वाली (In-hand) सैलरी घट जाएगी।
लेकिन घबराइए नहीं, इसका एक बहुत बड़ा फायदा भी है।
4. आज का दर्द, कल का सुकून (Pros and Cons)
अगर पीएफ ज्यादा कटता है और इन-हैंड सैलरी कम मिलती है, तो आपको अभी भले ही बुरा लगे, लेकिन यह आपके भविष्य के लिए 'जैकपॉट' है।
- रिटायरमेंट फंड: जितना ज्यादा पैसा पीएफ में जमा होगा, बुढ़ापे में आपको उतना बड़ा मोटा फंड और पेंशन मिलेगी।
- टैक्स बचत: पीएफ में जाने वाला पैसा टैक्स बचाने में भी मदद करता है।
- ज्यादा कैश: दूसरी तरफ, अगर आप पीएफ कम कटवाते हैं, तो अभी तो ऐश होगी (हाथ में ज्यादा पैसा), लेकिन रिटायरमेंट के वक्त गुल्लक खाली मिल सकती है।
आपको क्या करना चाहिए?
अगर आपकी कंपनी आपको पीएफ योगदान चुनने का विकल्प देती है (खासकर हाई सैलरी वालों को), तो फैसला अपनी जरूरत के हिसाब से लें।
- अगर अभी घर चलाने में दिक्कत है और कैश चाहिए, तो पीएफ का हिस्सा लिमिट में रख सकते हैं।
- लेकिन अगर आप सेविंग चाहते हैं, तो पीएफ को बढ़ने दें। यह जबरदस्ती की बचत है जो बाद में बहुत काम आती है।
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