Election Commission of India : दिल्ली में 15 साल बाद मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण बिहार विवाद के बीच तैयारियां तेज

Post

News India Live, Digital Desk: Election Commission of India : बिहार में चल रहे विशेष सघन पुनरीक्षण SIR प्रक्रिया से जुड़े विवादों के बीच, दिल्ली भी अब 15 साल बाद अपनी मतदाता सूचियों में एक बड़े विशेष सघन पुनरीक्षण के लिए कमर कस रही है। इस कवायद का उद्देश्य मतदाता डेटा को पूरी तरह से दुरुस्त करना है, खासकर शहरीकरण, प्रवासन और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के कारण आई अशुद्धियों को दूर करना।

भारत निर्वाचन आयोग ECI की ओर से अभी आधिकारिक घोषणा का इंतजार है, लेकिन दिल्ली में इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। यह पुनरीक्षण ठीक वैसे ही बड़े पैमाने पर घर-घर जाकर सत्यापन प्रक्रिया को दोहराएगा, जैसी अंतिम बार 2008 में हुई थी। उस समय भी इस अभ्यास के परिणामस्वरूप एक संशोधित मतदाता सूची तैयार हुई थी। इस आगामी पुनरीक्षण का लक्ष्य दिल्ली के 1.5 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाताओं की सूची की सटीकता में सुधार करना है।

यह उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूचियों की शुद्धता बनाए रखने के अपने संवैधानिक दायित्व के तहत पूरे देश में विशेष सघन पुनरीक्षण करने का निर्णय लिया है। बिहार में इस प्रक्रिया के पहले चरण में बड़ी संख्या में मतदाताओं को मसौदा सूची से बाहर किए जाने की बात सामने आई थी, जिससे राजनीतिक हलकों में काफी हंगामा हुआ। लगभग 22 लाख मृत मतदाताओं, 36 लाख स्थायी रूप से स्थानांतरित हुए या अप्राप्य मतदाताओं, और 7 लाख डुप्लीकेट प्रविष्टियों को हटाया गया।[5] हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह केवल एक मसौदा सूची है और अगस्त 1 से सितंबर 1 तक इस पर दावे और आपत्तियां स्वीकार की जाएंगी। उच्चतम न्यायालय भी इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है और उसने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि आधार और मतदाता पहचान पत्र को पहचान के वैध दस्तावेजों के रूप में स्वीकार किया जाए ताकि सामूहिक रूप से मतदाताओं को सूची से बाहर होने से बचाया जा सके।

इस सघन पुनरीक्षण का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची में शामिल होने से न छूटे और कोई भी अयोग्य व्यक्ति सूची में न रहे। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने और सटीक, त्रुटि-मुक्त मतदाता सूची तैयार करने के लिए आवश्यक है, क्योंकि पिछले दो दशकों में तेजी से शहरीकरण और प्रवास के कारण मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए हैं।

--Advertisement--