Dhanbad News : खेती में घाटा अब पुरानी बात AI की मदद से किसानों ने ढूंढ लिया मुनाफे का शॉर्टकट
News India Live, Digital Desk : हम अक्सर सुनते हैं कि "खेती भगवान भरोसे होती है।" कभी बारिश ज्यादा हो गई तो फसल बर्बाद, कभी सूखा पड़ गया तो मेहनत बेकार। लेकिन झारखंड के धनबाद (Dhanbad) में अब यह पुरानी कहावत बदल रही है। यहाँ के किसान अब सिर्फ बादलों की तरफ नहीं देख रहे, बल्कि टेक्नोलॉजी का हाथ थामकर अपनी तकदीर बदल रहे हैं।
जी हाँ, कोयला नगरी के रूप में मशहूर धनबाद अब 'स्मार्ट खेती' की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रहा है। यहाँ के किसान खेती-बारी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) यानी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। आइये जानते हैं कि आखिर यह तकनीक किसानों की मदद कैसे कर रही है।
मौसम की पक्की खबर, वो भी पहले ही
खेती में सबसे बड़ा दुश्मन अनिश्चित मौसम होता है। लेकिन AI तकनीक की मदद से अब किसानों को मौसम का सटीक पूर्वानुमान (Weather Forecast) मिल रहा है। अब उन्हें टीवी या रेडियो का इंतज़ार नहीं करना पड़ता। उनके फोन पर ही पता चल जाता है कि अगले कुछ दिनों में बारिश होगी या धूप निकलेगी।
इससे फायदा यह हो रहा है कि किसान सही समय पर बुवाई, सिंचाई और कटाई का फैसला ले पा रहे हैं। बेमौसम बारिश से होने वाला नुकसान अब काफी हद तक कम हो गया है।
कीड़े लगने से पहले ही मिल जाता है 'इलाज'
किसानों की दूसरी सबसे बड़ी परेशानी होती है फसलों में लगने वाले कीड़े और बीमारियां (Pest Management)। कई बार जब तक बीमारी का पता चलता है, तब तक पूरी फसल खराब हो चुकी होती है।
लेकिन अब AI इस समस्या का 'डॉक्टर' बन गया है। किसान अब आधुनिक ऐप्स और उपकरणों की मदद से फसल की फोटो खींचकर यह जान सकते हैं कि पौधे में कौन सा रोग लगने वाला है। तकनीक न सिर्फ बीमारी बताती है, बल्कि उसका सही और सस्ता इलाज भी सुझा देती है। इससे कीटनाशकों (Pesticides) पर होने वाला फालतू खर्चा बच रहा है।
मुनाफा बढ़ा और मेहनत हुई सफल
जब फसल सही सलामत घर आएगी, तो जाहिर है कि आमदनी भी बढ़ेगी। धनबाद के जो किसान इस तकनीक को अपना रहे हैं, वे बता रहे हैं कि उनकी लागत कम हुई है और मुनाफा बढ़ा है। मिट्टी की सेहत जांचने से लेकर खाद की सही मात्रा तय करने तक, हर जगह टेक्नोलॉजी उनकी दोस्त बनकर खड़ी है।
यह बदलाव एक नई उम्मीद जगाता है। अगर हमारे गाँव और किसान भी डिजिटल और हाई-टेक हो जाएंगे, तो वो दिन दूर नहीं जब खेती को 'घाटे का सौदा' कहना बंद कर दिया जाएगा। धनबाद की यह पहल वाकई तारीफ के काबिल है।
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