दिल्ली की सुबह अब धुंधली है, सांस लेना मुश्किल, सुप्रीम कोर्ट भी हुआ सख्त

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News India Live, Digital Desk: दिल्ली वालों के लिए आजकल सुबह की शुरुआत 'ताजी हवा' से नहीं, बल्कि आंखों में जलन और गले में खराश के साथ हो रही है। राजधानी में प्रदूषण का स्तर (Pollution Level in Delhi) एक बार फिर डराने लगा है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली का औसत एक्यूआई (AQI) 388 के आसपास मंडरा रहा है, जो 'बहुत खराब' श्रेणी की दहलीज पर खड़ा है।

वजीरपुर में हालात बेकाबू

अगर आपको लग रहा है कि 388 का आंकड़ा बुरा है, तो जरा दिल्ली के हॉटस्पॉट्स का हाल जान लीजिए। वजीरपुर (Wazirpur) और इसके आसपास के इलाकों में तो मीटर लाल निशान के भी पार चला गया है। यहां सांस लेना मतलब सिगरेट के धुएं को सीधा फेफड़ों में उतारने जैसा हो गया है। स्थानीय लोग बता रहे हैं कि दिन में भी शाम जैसा नजारा है, और सूरज की रोशनी धुंध (Smog) के पीछे कहीं खो गई है।

सुप्रीम कोर्ट की एंट्री और सख्ती

इस बार मामला सिर्फ बयानों तक सीमित नहीं है। प्रदूषण के इन भयानक हालातों पर Supreme Court ने अपनी पैनी नज़र गड़ा दी है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी। जजों ने ग्रैप-4 (GRAP-4) की पाबंदियों को सख्ती से लागू करने की बात कही है। सीधी बात है—अदालत भी समझ रही है कि अगर अभी कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो दिल्ली वालों का जीना मुहाल हो जाएगा।

कोर्ट की सख्ती का मतलब है कि अब सरकारों को एक-दूसरे पर दोष मढ़ने (Blame Game) के बजाय, ज़मीन पर काम करके दिखाना होगा। चाहे वो पराली का धुआं रोकना हो या गाड़ियों के प्रदूषण पर लगाम लगाना।

आम आदमी की फिक्र

इन भारी-भरकम आंकड़ों के बीच सबसे ज्यादा पिसा आम आदमी ही जा रहा है। स्कूल जाने वाले बच्चे हों या पार्क में टहलने वाले बुजुर्ग, सबकी सेहत दांव पर है। डॉक्टर्स भी सलाह दे रहे हैं कि जब तक हवा नहीं सुधरती, मॉर्निंग वॉक बंद कर दें और घर में ही रहें। हवा इतनी जहरीली है कि यह अस्थमा और दिल के मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

कुल मिलाकर, दिल्ली की फिजाओं में अभी 'जहर' घुला है। उम्मीद यही है कि कोर्ट की निगरानी और प्रशासन की सख्ती से शायद कुछ राहत मिले, वरना इस सर्दी में साफ सांस लेना एक सपना बनकर रह जाएगा।

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