कांग्रेस का नारी शक्ति पर बड़ा दांव, राजस्थान की इन महिला नेताओं को मिली राष्ट्रीय कमान
News India Live, Digital Desk: हाल के चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी अब गहरे आत्ममंथन के दौर से गुजर रही है और संगठन को फिर से मजबूत करने के लिए एक के बाद एक बड़े फैसले ले रही है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अब पार्टी में नई जान फूंकने के लिए जमीनी स्तर पर बड़े बदलाव कर रहे हैं. इसी कड़ी में, उन्होंने राजस्थान के कई नेताओं को राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी हैं, और इस बार उनका सबसे बड़ा दांव 'नारी शक्ति' पर है.
पार्टी ने राजस्थान की तीन प्रमुख महिला नेताओं को दिल्ली और मध्य प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्यों की कमान देकर यह साफ संदेश दिया है कि आने वाले समय में संगठन में महिलाओं की भूमिका और बढ़ने वाली है.
किन महिला नेताओं को मिला प्रमोशन?
- शोभा ओझा: राजस्थान महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं शोभा ओझा को अब मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त किया गया है. मध्य प्रदेश में हाल ही में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में शोभा ओझा के कंधों पर वहां महिला संगठन को फिर से खड़ा करने और उनमें नया जोश भरने की एक बहुत बड़ी और चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी होगी.
- संगीता बेनीवाल: राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को भी राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका दी गई है. उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का सह-प्रभारी (Co-in-charge) बनाया गया है. दिल्ली में कांग्रेस लंबे समय से अपनी जमीन तलाश रही है, और संगीता बेनीवाल को यह जिम्मेदारी देना दिखाता है कि पार्टी उनके संगठनात्मक कौशल पर कितना भरोसा करती है.
- जसवंत गुर्जर: राजस्थान महिला कांग्रेस की वरिष्ठ नेता जसवंत गुर्जर को भी शोभा ओझा के साथ मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस में सह-प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया है.
क्या है इस फैसले के पीछे की रणनीति?
कांग्रेस के इस कदम को कई नजरियों से देखा जा रहा है:
- जमीनी नेताओं को मौका: पार्टी अब उन नेताओं को आगे ला रही है जिन्होंने राज्य स्तर पर संगठन के लिए कड़ी मेहनत की है.
- महिला सशक्तिकरण का संदेश: एक साथ तीन महिला नेताओं को दूसरे राज्यों की कमान सौंपकर कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह महिलाओं को राजनीति में बड़ी भूमिका देने के लिए गंभीर है.
- नई ऊर्जा का संचार: नए चेहरों को बड़ी जिम्मेदारियां देने से संगठन में एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है.
यह फेरबदल दिखाता है कि कांग्रेस 2024 की हार से सबक लेकर अब भविष्य की तैयारी में जुट गई है और इसके लिए वह अपने पुराने और मेहनती कार्यकर्ताओं पर भरोसा जता रही है, खासकर महिला नेताओं पर.
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