Chhattisgarh : जब अचानक सरेंडर कर चुके नक्सलियों के बीच पहुंचे डिप्टी सीएम, बोले अब सरकार तुम्हारा परिवार है

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News India Live, Digital Desk : बस्तर के जंगलों में कभी गोलियों और बारूद की गंध में जीने वाले लोगों के लिए वह एक हैरान कर देने वाला पल था। कल तक जो सरकार उनकी दुश्मन थी, आज उसी सरकार के दूसरे सबसे बड़े मुखिया, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, बिना किसी तामझाम और सूचना के उनके बीच जमीन पर बैठे थे और एक परिवार के सदस्य की तरह उनका हाल-चाल पूछ रहे थे।

यह कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि दंतेवाड़ा के 'नव जतन केंद्र' की हकीकत थी। यह वो जगह है जहाँ हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने वाले नक्सलियों को एक नई ज़िंदगी देने की कोशिश की जाती है। अपने बस्तर दौरे के दौरान छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने अचानक इस पुनर्वास केंद्र का दौरा करके सबको चौंका दिया।

"क्या करते थे, कैसे रहते थे, अब क्या करना चाहते हो?"

डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने वहां रह रहे सरेंडर कर चुके पुरुष और महिला नक्सलियों से मुलाकात की। उन्होंने अधिकारियों वाला रौब नहीं दिखाया, बल्कि बेहद अपनेपन से उनसे बात की। उन्होंने पूछा, "संगठन में क्या काम करते थे? अब जब सब छोड़ दिया है तो आगे क्या करने का सोचा है? सरकार से क्या मदद चाहते हो?"

उन्होंने एक-एक से उनका नाम पूछा, उनके परिवार के बारे में जानकारी ली और उन्हें भरोसा दिलाया कि उन्हें अब किसी बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। सरकार उनके साथ खड़ी है और उन्हें एक सम्मानजनक जीवन देने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।

एक नई सुबह का वादा - 'नियद नेल्लानार' योजना

विजय शर्मा ने उन्हें सरकार की महत्वाकांक्षी 'नियद नेल्लानार' योजना (मतलब - आपका अच्छा गांव) के बारे में बताया। इस योजना का मकसद नक्सल प्रभावित गांवों में सुरक्षा कैंप स्थापित करके वहां विकास की रोशनी पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी और उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार काम दिया जाएगा ताकि वे समाज में सिर उठाकर जी सकें।

इस औचक निरीक्षण का मकसद सिर्फ व्यवस्थाओं का जायजा लेना नहीं था, बल्कि उन लोगों के मन में भरोसा जगाना था जो दशकों से डर और अविश्वास के माहौल में जीते रहे हैं। विजय शर्मा का यह कदम उन भटके हुए युवाओं के लिए एक बड़ा संदेश है कि अगर वे हिंसा का रास्ता छोड़ते हैं, तो सरकार बांहें फैलाकर उनका स्वागत करने के लिए तैयार है।

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