Chhattisgarh liquor scam: 22 आबकारी अधिकारियों की ज़मानत अर्ज़ी खारिज गिरफ़्तारी का मंडराया ख़तरा

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News India Live, Digital Desk: Chhattisgarh liquor scam:  छत्तीसगढ़ में चल रहे बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ED का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। एक बड़े घटनाक्रम में, राजधानी रायपुर की विशेष अदालत ने प्रदेश के 22 आबकारी अधिकारियों की ज़मानत याचिका खारिज कर दी है। इस फैसले के बाद इन सभी अधिकारियों की कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है, जिससे आबकारी विभाग में भारी हड़कंप मचा हुआ है।

प्रवर्तन निदेशालय इस पूरे घोटाले को लेकर काफी गंभीर है और मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से इसकी विस्तृत जांच कर रहा है। ED का दावा है कि छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच लगभग 2,000 करोड़ रुपये का विशाल शराब घोटाला हुआ है। यह घोटाला शराब उत्पादन से लेकर उसकी बिक्री तक के हर स्तर पर अवैध पैसा वसूलने के लिए एक सुनियोजित समानांतर प्रणाली (parallel system) बनाकर अंजाम दिया गया। इसमें सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाया गया और काले धन की मोटी कमाई की गई।

ईडी के मुताबिक, इस पूरे रैकेट को तत्कालीन विशेष सचिव आबकारी ए. पी. त्रिपाठी और कथित तौर पर कुछ राजनैतिक व्यक्ति तथा सिंडिकेट के सदस्य चला रहे थे। त्रिपाठी और सहायक आयुक्त अरुणा मिश्रा पहले ही इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि जिन 22 अधिकारियों की ज़मानत याचिका खारिज हुई है, वे सीधे तौर पर अवैध वसूली की इस प्रणाली का हिस्सा थे। उन्होंने आबकारी नीतियों में मनचाहे बदलाव किए और खुद ही पैसा इकट्ठा करने में शामिल थे, जिससे इस अवैध धंधे को फलने-फूलने का मौका मिला।

यह घोटाला उस समय सामने आया जब ED ने अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अरविंद सिंह जैसे कुछ प्रमुख लोगों पर कार्रवाई की। उनकी निशानदेही पर और विस्तृत जांच में यह बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हुआ। विशेष न्यायालय द्वारा ज़मानत याचिकाएं खारिज होने से ED की स्थिति और मज़बूत हुई है, और यह स्पष्ट संदेश मिलता है कि इस बड़े घोटाले में किसी को बख्शा नहीं जाएगा। आगामी दिनों में कई और बड़ी गिरफ्तारियाँ देखने को मिल सकती हैं, जो छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक हलकों में और भी हलचल पैदा करेंगी।

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