Chanakya Niti: जिस घर में होती हैं ये 4 चीजें, वहां 'रास्ता पूछकर' चली आती हैं मां लक्ष्मी
हम सभी चाहते हैं कि हमारा घर खुशियों से भरा रहे और कभी पैसे-रुपये की कमी न हो। इसके लिए हम पूजा-पाठ करते हैं, टोटके करते हैं, लेकिन फिर भी कई बार घर में बरकत नहीं होती। महान विद्वान आचार्य चाणक्य का मानना था कि माँ लक्ष्मी सिर्फ 'पूजा' से नहीं, बल्कि घर के 'माहौल' से खुश होती हैं।
चाणक्य कहते थे कि पैसा कमाना जितना मुश्किल है, उसे घर में टिकाकर रखना उससे भी ज्यादा मुश्किल है। उन्होंने अपनी नीति में साफ-साफ बताया है कि किन घरों में मां लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है। यकीन मानिये, ये कोई भारी-भरकम नियम नहीं हैं, बस जीने का एक सही तरीका हैं।
चलिए जानते हैं कि आपके घर में वो कौन सी 4 चीजें होनी चाहिए, जिन्हें देखकर समृद्धि खुद-ब-खुद आपके दरवाजे पर दस्तक दे।
1. जहाँ शोर नहीं, 'शांति' बसती हो
क्या आपके घर में भी रोज छोटी-छोटी बात पर "तू-तू, मैं-मैं" होती है? तो सावधान हो जाइये। चाणक्य कहते हैं कि जिस घर में कलह, क्लेश, चीखना-चिल्लाना होता है, वहां से लक्ष्मी तुरंत लौट जाती हैं। पैसा वहीं टिकता है जहां सुकून हो। अगर आप चाहते हैं कि घर में बरकत हो, तो घर का माहौल पॉजिटिव बनाएं। मनमुटाव हो भी जाए, तो उसे प्यार से सुलझा लें। याद रखें, शांत घर ही समृद्धि का मंदिर होता है।
2. किताबों और 'ज्ञान' का सम्मान
ये बात शायद आपको थोड़ी अलग लगे, लेकिन चाणक्य के लिए 'ज्ञान' ही सबसे बड़ा धन था। वो मानते थे कि जिस घर में अच्छी किताबें होती हैं, जहाँ पढ़ाई-लिखाई की बातें होती हैं, वहां दरिद्रता कभी नहीं आ सकती। अपने घर में ऐसा माहौल बनाएं जहाँ बच्चे और बड़े कुछ न कुछ नया सीखते रहें। जिस घर में सरस्वती (ज्ञान) का वास होता है, वहां लक्ष्मी (धन) अपने आप पीछे-पीछे चली आती हैं। इसलिए, घर में अच्छी किताबों को जगह दें।
3. घर नहीं, 'दर्पण' की तरह चमक चाहिए
आप खुद सोचिए, क्या आप किसी ऐसे घर में जाना पसंद करेंगे जो गंदा हो और जहाँ चीजें बिखरी पड़ी हों? नहीं न? तो माँ लक्ष्मी कैसे आएँगी? चाणक्य नीति साफ कहती है— गंदगी दरिद्रता को न्योता देती है। अगर अमीर बनना है, तो घर को साफ-सुथरा रखें। खासकर घर का मुख्य दरवाजा (Main Gate) और पूजा का स्थान हमेशा महकता हुआ और व्यवस्थित होना चाहिए। सफाई सिर्फ दिखावा नहीं, पॉजिविट एनर्जी को बुलाने का तरीका है।
4. जिनके दिल में 'दया' और हाथों में 'दान' हो
कंजूस व्यक्ति के पास धन इकट्ठा तो हो सकता है, लेकिन वहां 'सुख' नहीं हो सकता। चाणक्य के अनुसार, जिस घर के लोग दूसरों के दुख-दर्द को समझते हैं, जरूरतमंदों की मदद करते हैं और कड़वा नहीं बोलते, उस घर पर भगवान की विशेष कृपा होती है। अपनी कमाई का एक छोटा सा हिस्सा किसी के भले के लिए खर्च करें। परोपकार करने वाले घर का भंडार कभी खाली नहीं होता।
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