सावधान! क्रेडिट कार्ड के बिल का कैश में पेमेंट करना पड़ेगा बहुत भारी, जानें क्यों आ सकता है आयकर विभाग का नोटिस
क्रेडिट कार्ड... हमारी आधुनिक जिंदगी का एक अभिन्न अंग बन चुका है। 'अभी खरीदो, बाद में चुकाओ' की सुविधा, आकर्षक रिवॉर्ड पॉइंट्स, और EMI के आसान विकल्प ने इसे हम में से कई लोगों का पसंदीदा पेमेंट टूल बना दिया है। हम इसका इस्तेमाल बड़े-से-बड़े खर्चों, जैसे कि इंटरनेशनल वेकेशन, महंगी ज्वेलरी या लेटेस्ट गैजेट्स खरीदने के लिए भी करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रेडिट कार्ड का आपका यही 'स्मार्ट' इस्तेमाल आपको आयकर विभाग (Income Tax Department) के 'रडार' पर ला सकता है?
अगर आप भी अपने क्रेडिट कार्ड का बिल बड़ी रकम में चुकाते हैं, खासकर नकद (Cash) में, तो आप अनजाने में आयकर विभाग को अपने घर नोटिस भेजने का न्योता दे रहे हैं। सरकार अब आपके हर बड़े वित्तीय लेनदेन पर बाज की तरह नजर रख रही है, और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल इसमें सबसे ऊपर है। चलिए विस्तार से समझते हैं कि कौन सी गलतियां आपके लिए मुसीबत खड़ी कर सकती हैं और आप इस झंझट से कैसे बच सकते हैं।
क्यों आती है क्रेडिट कार्ड पर इनकम टैक्स की नजर?
आयकर विभाग का मुख्य उद्देश्य काले धन (Black Money) और टैक्स चोरी को रोकना है। जब कोई व्यक्ति अपनी घोषित आय (Declared Income in ITR) से कहीं ज़्यादा खर्च करता है, तो यह विभाग के लिए एक 'रेड फ्लैग' यानी खतरे का संकेत होता है। विभाग यह जानना चाहता है कि आपके पास इतना पैसा आखिर आ कहां से रहा है? क्रेडिट कार्ड आपके खर्च करने के पैटर्न का एक सीधा और सटीक रिकॉर्ड होता है, इसीलिए यह विभाग की जांच के दायरे में सबसे पहले आता है।
ये 2 गलतियां आपको पहुंचा सकती हैं नोटिस
मुख्य रूप से दो ऐसी स्थितियां हैं, जिनमें आपके क्रेडिट कार्ड के बिल पर इनकम टैक्स का नोटिस आने की संभावना सबसे ज़्यादा होती है:
गलती #1: क्रेडिट कार्ड का बिल कैश में चुकाना (₹1 लाख की सीमा)
यह सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक 'रेड फ्लैग' है।
- नियम क्या है?: अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान एक वित्तीय वर्ष (Financial Year) में कुल मिलाकर 1 लाख रुपये या उससे अधिक नकद में करते हैं, तो आपका बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी इसकी सूचना 'वित्तीय लेनदेन के विवरण' (Statement of Financial Transactions - SFT) के तहत सीधे आयकर विभाग को देने के लिए बाध्य है।
- क्यों है यह इतना खतरनाक?: कैश में बड़ी रकम का भुगतान हमेशा शक पैदा करता है। विभाग यह मान सकता है कि आप अपनी उस आय को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं है (अघोषित आय)। आपसे तुरंत आपकी आय के स्रोत (Source of Income) के बारे में सवाल पूछा जाएगा।
गलती #2: एक साल में 10 लाख से ज़्यादा का बिल भरना
अगर आपको लगता है कि आप कैश में पेमेंट नहीं करते तो आप सुरक्षित हैं, तो आप गलत हैं।
- नियम क्या ਹੈ?: अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान एक वित्तीय वर्ष में कुल मिलाकर 10 लाख रुपये या उससे अधिक करते हैं, (चाहे वह भुगतान चेक, NEFT, RTGS या किसी भी बैंकिंग चैनल से किया गया हो), तो भी इसकी जानकारी SFT के माध्यम से आयकर विभाग तक पहुंचाई जाती ਹੈ।
कैसे पता चलता ਹੈ इनकम टैक्स विभाग को? (समझें SFT का खेल)
SFT आयकर विभाग का एक 'जासूसी का सिस्टम' है। इसके तहत बैंकों, म्यूचुअल फंड हाउस, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार और क्रेडिट कार्ड कंपनियों को यह अनिवार्य किया गया ਹੈ कि वे अपने ग्राहकों द्वारा किए गए सभी उच्च-मूल्य वाले लेनदेन (High-Value Transactions) की जानकारी सीधे टैक्स डिपार्टमेंट को दें। आपके क्रेडिट कार्ड के बड़े बिल भी इसी श्रेणी में आते हैं।
नोटिस में क्या पूछा जाएगा?
अगर आपके खर्च और आपके द्वारा फाइल किए गए ITR में दिखाई गई आय के बीच कोई बड़ा 'मिसमैच' (Mismatch) होता है, तो आपको नोटिस आ सकता है।
- उदाहरण: मान लीजिए आपने अपने ITR में अपनी सालाना आय 8 लाख रुपये दिखाई है, लेकिन आपने पूरे साल में क्रेडिट कार्ड से 12 लाख रुपये की शॉपिंग कर ली। विभाग आपसे सीधे तौर पर यह पूछेगा कि यह अतिरिक्त 4 लाख रुपये आपके पास कहां से आए।
- अगर आप अपनी आय के स्रोत को संतोषजनक ढंग से स्पष्ट नहीं कर पाते हैं, तो इस अघोषित आय पर आपसे भारी टैक्स और जुर्माना (Heavy Tax and Penalty) वसूला जा सकता है।
कैसे बचें इस मुसीबत से? (What Should You Do?)
- कैश पेमेंट से बचें: सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण नियम - अपने क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान कभी भी 1 लाख या उससे अधिक की सीमा में कैश में न करें। हमेशा बैंकिंग चैनलों का उपयोग करें।
- ITR में सही जानकारी दें: सुनिश्चित करें कि आपका ITR आपकी जीवनशैली और आपके खर्चों को दर्शाता है। अपनी सभी आय स्रोतों (जैसे ब्याज, किराया, आदि) की सही-सही जानकारी ITR में दें।
- AIS जरूर चेक करें: ITR फाइल करने से पहले, इनकम टैक्स पोर्टल से अपना AIS (Annual Information Statement) ज़रूर डाउनलोड करें। AIS में वे सभी जानकारियां है जो SFT के जरिए विभाग के पास पहुंची हैं। इससे आपको पता चल जाएगा कि सरकार के पास आपके किन-किन लेनदेन का रिकॉर्ड है, ताकि आप अपना ITR उसी के अनुसार भर सकें।
- रिकॉर्ड्स संभाल कर रखें: अगर आपने कोई बड़ा खर्च किया है (जैसे शादी या मेडिकल इमरजेंसी), तो उससे संबंधित सभी बिल और रसीदें संभाल कर रखें, ताकि नोटिस आने पर आप अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकें।
क्रेडिट कार्ड एक बेहतरीन वित्तीय उपकरण है, बशर्ते इसका इस्तेमाल समझदारी और पारदर्शिता के साथ किया जाए।
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