Bus Operators Protest : जयपुर से बाहर जाने का बना रहे हैं प्लान? आज ही भूल जाएं, राजस्थान में स्लीपर बसों का चक्का जाम

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News India Live, Digital Desk: Bus Operators Protest :  अगर आप आज या आने वाले कुछ दिनों में राजस्थान से बस के जरिए किसी दूसरे राज्य में जाने का प्लान बना रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए एक बड़ा झटका है। राजस्थान के बस ऑपरेटर्स ने सरकार की नई टैक्स नीति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और शुक्रवार आधी रात से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया है। इस हड़ताल के तहत प्रदेश भर की लगभग 3000 स्लीपर बसों के पहिए थम गए हैं, जिससे हजारों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

राजधानी जयपुर से बसें हुईं 'गायब'

हड़ताल का सबसे बड़ा असर राजधानी जयपुर में देखने को मिल रहा है। सिंधी कैंप बस स्टैंड और शहर के अन्य प्राइवेट बस स्टैंड्स से दिल्ली, अहमदाबाद, लखनऊ, भोपाल, और मुंबई जैसे बड़े शहरों के लिए जाने वाली सभी स्लीपर बसें खड़ी हो गई हैं। सभी बस ऑपरेटर्स ने ऑनलाइन और ऑफलाइन बुकिंग पूरी तरह से बंद कर दी है। जो यात्री पहले से टिकट बुक करा चुके थे, उनके टिकट कैंसिल किए जा रहे हैं और पैसे रिफंड किए जा रहे हैं।

आखिर क्यों मचा है यह बवाल?

बस ऑपरेटर्स और सरकार के बीच इस टकराव की मुख्य वजह है परिवहन विभाग द्वारा फिटनेस प्रमाण पत्र (Fitness Certificate) पर लगने वाले टैक्स में की गई भारी बढ़ोतरी।

  • कितना बढ़ा टैक्स?: पहले जहां स्लीपर बसों का फिटनेस टैक्स करीब ₹26,000 सालाना हुआ करता था, वहीं अब इसे बढ़ाकर लगभग ₹1.5 लाख प्रति वर्ष कर दिया गया है। यानी, टैक्स में 5 गुना से भी ज्यादा की सीधी बढ़ोतरी।
  • क्या कहना है ऑपरेटर्स का?: बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद से बस उद्योग पहले ही भारी घाटे में चल रहा है। ऊपर से डीजल की बढ़ती कीमतें और अब यह 'अंधाधुंध' टैक्स बढ़ोतरी उनकी कमर तोड़ देगी। उनका कहना है कि "जब तक सरकार इस काले कानून को वापस नहीं लेती, तब तक एक भी स्लीपर बस सड़क पर नहीं उतरेगी।"

त्योहारी सीजन में यात्री होंगे बेहाल

यह हड़ताल ऐसे समय में हुई है जब दिवाली और छठ जैसे बड़े त्योहारों के बाद लोग वापस अपने काम पर लौट रहे हैं और शादियों का सीजन भी शुरू होने वाला है। ट्रेनों में पहले से ही लंबी वेटिंग लिस्ट है। ऐसे में, बसें ही आवागमन का एक बड़ा सहारा थीं।

अब इस हड़ताल के कारण:

  • यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
  • दूसरे राज्यों में काम करने वाले लोगों और छात्रों का समय पर लौटना मुश्किल हो जाएगा।
  • बची-खुची ट्रेनों और साधारण बसों पर दबाव कई गुना बढ़ जाएगा, जिससे मारामारी की स्थिति बनेगी।

बस ऑपरेटर्स का कहना है कि वे सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी। फिलहाल, इस जंग में पिसना आम यात्री को ही पड़ रहा है।

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