Bihar Politics: बिहार में बीजेपी का फैसला पुरानी जोड़ी ही सबसे दमदार, सम्राट और विजय की वापसी तय
News India Live, Digital Desk: बिहार की राजनीति में कल तक पटना के सियासी गलियारों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। कोई कह रहा था कि "इस बार डिप्टी सीएम (Deputy CM) का चेहरा बदल जाएगा", तो कोई नए नामों की चर्चा कर रहा था। लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आज अपने फैसले से सबको चौंका दिया है। पार्टी ने साफ़ संदेश दिया है— "जब जोड़ी हिट है, तो उसे बदलने की क्या जरूरत?"
जी हाँ, बिहार की नई सरकार में एक बार फिर सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) और विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) ही उप-मुख्यमंत्री की कमान संभालेंगे।
आखिर बीजेपी ने क्यों नहीं किया बदलाव?
यह सवाल सबके मन में है कि आखिर इन दोनों नेताओं में ऐसा क्या है कि पार्टी हाईकमान ने इन पर दोबारा भरोसा जताया? आइए, इसके पीछे के असली गणित को समझते हैं:
1. परखा हुआ और आक्रामक नेतृत्व
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बीजेपी के लिए सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा की जोड़ी 'राम-लखन' जैसी है। सम्राट चौधरी जहां अपने आक्रामक तेवरों और 'पगड़ी' के लिए मशहूर हैं, वहीं विजय सिन्हा विपक्ष पर तीखे वार करने में माहिर हैं। बीजेपी को मालूम है कि सामने राजद जैसा मजबूत विपक्ष है, जिससे निपटने के लिए उन्हें 'सॉफ्ट' नहीं, बल्कि ऐसे ही 'तेज-तर्रार' नेताओं की जरूरत है।
2. जातीय समीकरण (Caste Balance) का मास्टरस्ट्रोक
बिहार में राजनीति जाति के बिना नहीं होती।
- सम्राट चौधरी: ये 'कोयरी' (कुशवाहा) समाज से आते हैं। इन्हें आगे रखकर बीजेपी नीतीश कुमार के 'लव-कुश' वोट बैंक (कुर्मी-कोयरी) में सेंध लगा रही है और ओबीसी वोटरों को साध रही है।
- विजय कुमार सिन्हा: ये 'भूमिहार' समाज से आते हैं, जो बीजेपी का सबसे पक्का और वफादार वोटर बेस है।
इस तरह, एक पिछड़ा और एक अगड़ा चेहरा साथ रखकर बीजेपी ने 'सोशल इंजीनियरिंग' का बेहतरीन नमूना पेश किया है।
3. 2025 की तैयारी
बीजेपी इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। अगले साल 2025 में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे नाजुक समय में नए चेहरे को लाकर एक्सपेरिमेंट करने के बजाय, पार्टी ने उन नेताओं पर दांव लगाया जो सिस्टम को पहले से समझते हैं और जिनके पास सरकार चलाने का अनुभव है।
सम्राट और विजय का क्या कहना है?
दोनों नेताओं ने पार्टी नेतृत्व का आभार जताया है। उनका कहना है कि वे एक 'सामान्य कार्यकर्ता' हैं और पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे निभाएंगे। लेकिन उनके समर्थकों में गजब का उत्साह है। मिठाइयां बंट रही हैं और नारेबाजी हो रही है।
तो दोस्तों, बिहार में एनडीए की नई पारी के लिए 'ओपनिंग बैट्समैन' वही पुराने हैं। अब देखना यह होगा कि नीतीश कुमार के साथ मिलकर यह जोड़ी बिहार को विकास की किस रफ़्तार पर ले जाती है।
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