Bihar Political News : लालू परिवार में नया खेला? तेजस्वी की पीठ पीछे राघोपुर में तेज प्रताप ने क्यों लगाया दरबार?
News India Live, Digital Desk: बिहार के सियासी गलियारों और लालू परिवार में सब कुछ ठीक है? यह सवाल एक बार फिर से उठ खड़ा हुआ है। वजह हैं लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव, जो अचानक अपने छोटे भाई और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र राघोपुर पहुंच गए। यही नहीं, उन्होंने वहां बकायदा 'जनता दरबार' लगाया और लोगों की समस्याएं भी सुनीं।
इस पूरे घटनाक्रम को और भी दिलचस्प बना दिया लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने। उन्होंने तेज प्रताप के इस जनता दरबार का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कुछ ऐसा लिखा, जिसने राजनीतिक अटकलों को और हवा दे दी है।
तेजस्वी के गढ़ में तेज प्रताप की दस्तक
तेजस्वी यादव इन दिनों 'जन विश्वास यात्रा' पर निकलकर पूरे बिहार का दौरा कर रहे हैं। इसी बीच, उनके बड़े भाई तेज प्रताप उनकी गैर-मौजूदगी में उनके ही चुनावी क्षेत्र राघोपुर पहुंच गए। यहां उन्होंने न सिर्फ लोगों से मुलाकात की, बल्कि उनकी समस्याएं सुनने के लिए एक चौपाल भी लगाई। इस दौरान वे पूरी तरह से एक राजनेता के अंदाज में दिखे और लोगों को भरोसा दिलाया कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
भाई की गैर-हाजिरी में उनके क्षेत्र की जनता का हाल-चाल लेना एक सामान्य बात हो सकती है, लेकिन लालू परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि को देखते हुए इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।
रोहिणी आचार्य के ट्वीट ने बढ़ाई हलचल
मामले को और तूल दिया लालू की बेटी रोहिणी आचार्य के ट्वीट ने। सिंगापुर में रह रहीं रोहिणी अक्सर बिहार की राजनीति पर अपनी राय रखती हैं। उन्होंने तेज प्रताप के वीडियो को अपने 'X' हैंडल पर शेयर किया और लिखा, "बड़े भइया तेज प्रताप यादव जी ने आज छोटे भाई तेजस्वी के विधानसभा क्षेत्र राघोपुर जाकर जनता दरबार लगाया और लोगों की समस्याओं को सुना। देखने वालों के कलेजे में ठंडक पहुंची कि नहीं?"
रोहिणी के इस ट्वीट का इशारा किस तरफ था, यह अब चर्चा का विषय बन गया है। "देखने वालों के कलेजे में ठंडक" लिखने का क्या मतलब है? क्या वह परिवार के आलोचकों पर तंज कस रही हैं या फिर परिवार के भीतर ही किसी को संदेश दे रही हैं?
क्या हैं सियासी मायने?
तेज प्रताप यादव पहले भी कई बार अपनी अलग राह पकड़ने और बगावती तेवर दिखाने के लिए जाने जाते रहे हैं। हालांकि, हाल के दिनों में वह तेजस्वी के साथ खड़े नजर आए। लेकिन अब अचानक तेजस्वी के ही क्षेत्र में उनका इस तरह सक्रिय होना कई सवाल खड़े कर रहा है। क्या यह सिर्फ एक बड़े भाई का अपने छोटे भाई की जिम्मेदारी में हाथ बंटाना है, या फिर इसके पीछे कोई और राजनीतिक संदेश छिपा है? रोहिणी का इस आग में घी डालने वाला ट्वीट इस पहेली को और भी उलझा रहा है। फिलहाल, आरजेडी या परिवार की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन बिहार की राजनीति पर नजर रखने वालों की भौंहें जरूर तन गई हैं।
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