गूगल का बड़ा फैसला H-1B वीज़ा वालों के लिए 'संजीवनी', 2026 से फिर शुरू होगा ग्रीन कार्ड प्रोसेस

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News India Live, Digital Desk : अमेरिका में जाकर नौकरी करना बहुत से लोगों का सपना होता है, लेकिन वहाँ बने रहने की जद्दोजहद भी कम नहीं होती। पिछले कुछ समय से सिलिकॉन वैली (टेक जगत) से सिर्फ छंटनी और मंदी की ही खबरें आ रही थीं। खासतौर पर H-1B वीज़ा पर काम कर रहे भारतीय, जिनका भविष्य पूरी तरह उनकी नौकरी पर टिका होता है, उनके लिए यह समय बहुत तनावपूर्ण रहा है।

लेकिन अब, साल 2025 के अंत में, गूगल (Google) की तरफ से एक ऐसी खबर आई है जो किसी 'न्यू ईयर गिफ़्ट' से कम नहीं है। टेक जायंट ने घोषणा की है कि वह 2026 से ग्रीन कार्ड (Green Card) के लिए आवेदन प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने जा रहा है।

मामला क्या है? क्यों लगी थी रोक?

आपको याद होगा कि 2023 और 2024 में अमेरिका की बड़ी-बड़ी टेक कंपनियों (जैसे Google, Meta, Amazon) ने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को नौकरी से निकाला था। इस अस्थिरता को देखते हुए गूगल ने PERM (Program Electronic Review Management) प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

  • आसान भाषा में: ग्रीन कार्ड पाने का यह पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है। जब कंपनी ही यह प्रोसेस रोक दे, तो विदेशी कर्मचारी (खासकर भारतीय) अधर में लटक जाते हैं। उन्हें न तो नौकरी पक्की होने का भरोसा होता है और न ही वीज़ा एक्सटेंशन की गारंटी।

ईमेल ने दी खुशखबरी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, गूगल ने अपने कर्मचारियों को एक ईमेल भेजकर बताया है कि कंपनी अब पहले से ज्यादा स्थिर (Stable) महसूस कर रही है। इसलिए, उन्होंने फैसला किया है कि 2026 में नई PERM अर्जियां दाखिल करना शुरू कर दिया जाएगा
इसका सीधा मतलब यह है कि गूगल अब नए टैलेंट को रिटेन (रोककर) रखना चाहता है और अपने पुराने कर्मचारियों को भविष्य की सुरक्षा देना चाहता है।

भारतीयों के लिए यह 'बड़ी बात' क्यों है?

अमेरिका में काम करने वाले टेक प्रोफेशनल्स में सबसे बड़ी तादाद भारतीयों की है। H-1B वीज़ा के नियम इतने सख्त हैं कि अगर ग्रीन कार्ड प्रोसेस शुरू न हो, तो 6 साल बाद देश वापस लौटना पड़ सकता है।
हजारों भारतीय गूलर्स (Googlers) जो पिछले 2 सालों से अटके हुए थे, अब चैन की सांस ले सकते हैं। उनका 'अमेरिकन ड्रीम' अब टूटेगा नहीं, बल्कि अपनी मंजिल की तरफ बढ़ेगा।

आगे क्या होगा?

यद्यपि 'ग्रीन कार्ड' मिलने में सालों (कभी-कभी दशकों) का वक़्त लगता है, लेकिन प्रक्रिया का शुरू होना ही इस बात का संकेत है कि नौकरी सुरक्षित है। यह फैसला बाकी टेक कंपनियों के लिए भी एक नजीर बन सकता है कि वे भी अपनी हायरिंग और इमिग्रेशन प्रोसेस को बहाल करें।

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