NCERT का बड़ा बदलाव अब 7वीं क्लास के बच्चे सिर्फ भूगोल नहीं, वसुधैव कुटुम्बकम का मतलब भी सीखेंगे

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News India Live, Digital Desk : हम अक्सर बात करते हैं कि आज की पढ़ाई सिर्फ नंबरों की दौड़ बनकर रह गई है। बच्चे किताबें तो रट लेते हैं, लेकिन हमारी जड़ों और हमारी संस्कृति से जुड़ी गहरी बातें उनसे छूट जाती हैं। लेकिन आपको जानकर खुशी होगी कि NCERT अब इस दिशा में एक बहुत ही प्यारा और सकारात्मक बदलाव लेकर आया है।

अगर आपका बच्चा 7वीं क्लास (Class 7) में है या जाने वाला है, तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है।

NCERT ने क्या नया किया है?
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने फैसला लिया है कि अब कक्षा 7 की सोशल साइंस (सामाजिक विज्ञान) की किताबों में 'वसुधैव कुटुम्बकम' (Vasudhaiva Kutumbakam) के विचार को शामिल किया जाएगा।

आसान भाषा में कहें तो, अब तक बच्चे यह पढ़ते थे कि दुनिया में कितने देश हैं और उनकी सीमाएं (Borders) क्या हैं। अब वो यह पढ़ेंगे कि सीमाएं चाहे जो भी हों, हम सब इंसान एक ही परिवार का हिस्सा हैं।

यह बदलाव क्यों जरूरी था? (Why This Matters)
आपको याद होगा कि जब भारत ने G20 की मेजबानी की थी, तो हमारा मुख्य नारा ही 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" था। यह हमारी भारतीय संस्कृति की वो सोच है जो हजारों सालों से चली आ रही है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत यह कोशिश की जा रही है कि बच्चे सिर्फ मॉडर्न ही न बनें, बल्कि अपनी जड़ों से भी जुड़े रहें।

  • ग्लोबल नागरिक: इससे बच्चों के मन में शुरू से ही यह बात बैठेगी कि दुनिया में कोई 'पराया' नहीं है।
  • शांति का पाठ: आज की दुनिया में जहाँ हर तरफ लड़ाई-झगड़े की खबरें आती हैं, वहां यह पाठ बच्चों को सहनशीलता और प्रेम सिखाएगा।

किताब में क्या होगा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोशल साइंस के भूगोल वाले हिस्से (Geography section) में एक विशेष अध्याय जोड़ा गया है। इसमें न केवल संस्कृत के श्लोक का अर्थ समझाया जाएगा, बल्कि यह भी बताया जाएगा कि कैसे ग्लोबलाइजेशन (वैश्वीकरण) के इस दौर में हम सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

सिर्फ पढ़ाई नहीं, एक नई सोच
यह सिर्फ एक चैप्टर जोड़ने की बात नहीं है। यह आने वाली पीढ़ी की मानसिकता बदलने की एक शुरुआत है। जब बच्चा बचपन से ही यह सीखेगा कि 'पूरी दुनिया मेरा परिवार है', तो वह बड़ा होकर एक बेहतर और संवेदनशील इंसान बनेगा।

तो, अगली बार जब आप अपने बच्चे की किताबें देखें और उसमें यह पाठ मिले, तो उसके साथ बैठकर इस पर चर्चा जरूर करें। आखिर, असली शिक्षा वही है जो इंसान को इंसान से जोड़े!

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