Battle for the seat in Raebareli : राहुल गांधी की पहली बैठक में ही क्यों भड़क गए BJP समर्थक विधायक?
News India Live, Digital Desk: Battle for the seat in Raebareli : रायबरेली ने राहुल गांधी को बड़े बहुमत से जिताकर अपना सांसद चुना. उम्मीद थी कि अब विकास की नई रफ्तार देखने को मिलेगी. लेकिन सांसद बनने के बाद जब राहुल गांधी अपनी पहली बड़ी आधिकारिक बैठक की अध्यक्षता करने पहुंचे, तो विकास की चर्चा शुरू होने से पहले ही 'विवाद' का एक नया अध्याय खुल गया. बैठक का मुद्दा था- विकास, लेकिन चर्चा का केंद्र बन गई एक 'कुर्सी'.
यह पूरा हाई-वोल्टेज ड्रामा हुआ 'दिशा' यानी जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति की बैठक में, और इसके मुख्य किरदार थे सांसद राहुल गांधी और ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडे.
मीटिंग शुरू होने से पहले ही 'वॉकआउट'
हुआ यह कि राहुल गांधी बतौर सांसद पहली बार इस कमेटी की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. बैठक में जिले के सभी विधायक और अधिकारी मौजूद थे. समाजवादी पार्टी के विधायक (जो अब BJP का समर्थन कर चुके हैं) मनोज पांडे भी इस बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे. लेकिन जैसे ही उनकी नज़र बैठने की व्यवस्था पर पड़ी, उनका पारा चढ़ गया. वह चंद मिनटों के लिए रुके और फिर गुस्से में बैठक का बहिष्कार करके बाहर निकल गए.
क्यों आया मनोज पांडे को गुस्सा?
बैठक से बाहर आने के बाद मनोज पांडे ने मीडिया के सामने अपनी नाराज़गी की वजह बताई. उनका आरोप था कि उन्हें जानबूझकर अपमानित करने की कोशिश की गई. उन्होंने कहा:
"मैं पिछले 25 सालों से दिशा की बैठक में शामिल हो रहा हूं. हमेशा जनप्रतिनिधियों और विधायकों के लिए एक प्रोटोकॉल के तहत बैठने की व्यवस्था होती है. लेकिन आज मेरा नेमप्लेट पीछे रखे एक सोफे पर लगा दिया गया था. यह मेरा अपमान नहीं है, यह ऊंचाहार की जनता का अपमान है."
मनोज पांडे ने इसे राहुल गांधी की "बचकाना हरकत" करार दिया और कहा कि एक सांसद के तौर पर यह उनकी बहुत खराब शुरुआत है. उन्होंने कहा कि अहंकार से काम नहीं चलता.
क्या यह सिर्फ 'कुर्सी' की लड़ाई है?
हालांकि यह मामला पहली नज़र में सिर्फ बैठने की व्यवस्था का लगता है, लेकिन इसके पीछे के राजनीतिक समीकरण कहीं ज़्यादा गहरे हैं.
- बदले हुए समीकरण: मनोज पांडे हैं तो समाजवादी पार्टी के विधायक, लेकिन उन्होंने हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में पाला बदलकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थا है लिया था.
- पहला आमना-सामना: रायबरेली से राहुल गांधी के सांसद बनने और मनोज पांडे के BJP खेमे में जाने के बाद, यह पहला मौका था जब दोनों नेता एक आधिकारिक मंच पर आमने-सामने थे.
- शक्ति प्रदर्शन? राजनीतिक गलियारों में इसे रायबरेली में 'INDIA' गठबंधन और 'NDA' के बीच शक्ति प्रदर्शन की शुरुआत के तौर पर भी देखा जा रहा है. मनोज पांडे के इस कदम को एक संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है कि भले ही सांसद राहुल गांधी हैं, लेकिन ज़िले की राजनीति में उनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती.
बताया जा रहा है कि डीएम समेत कई अधिकारियों ने मनोज पांडे को मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने. बहरहाल, जो बैठक रायबरेली के विकास की 'दिशा' तय करने के लिए बुलाई गई थी, उसकी शुरुआत ही एक राजनीतिक विवाद की 'विपरीत दिशा' से हुई. अब देखना यह होगा कि यह 'कुर्सी' का टकराव भविष्य में रायबरेली के विकास कार्यों पर कितना असर डालता है.
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