बिहार में फिर होगा खेला? असदुद्दीन ओवैसी ने नीतीश कुमार की तरफ बढ़ाया दोस्ती का हाथ, बीजेपी की बढ़ी धड़कनें
News India Live, Digital Desk : कहा जाता है कि राजनीति में न तो कोई स्थायी दोस्त होता है और न ही कोई स्थायी दुश्मन। और अगर बात बिहार की हो, तो यहाँ के समीकरण मौसम से भी ज्यादा जल्दी बदल जाते हैं। अब देखिए न, जो असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) अपनी हर रैली में नीतीश कुमार को पानी पी-पीकर कोसते थे, आज अचानक उनके सुर पूरी तरह बदल गए हैं।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने पटना से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने साफ कहा है कि अगर ज़रुरत पड़ी और हालात बने, तो AIMIM नीतीश कुमार की सरकार का समर्थन करने के लिए तैयार है।
कल तक थी तल्खी, आज क्यों आई नरमी?
ओवैसी का यह बयान बहुत अहम माना जा रहा है। अब तक ओवैसी, नीतीश कुमार को बीजेपी का साथी होने के कारण 'सांप्रदायिक ताकतों' के साथ खड़ा बताते थे। लेकिन अब उन्होंने कहा है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है।
उनका कहना है कि अगर नीतीश कुमार बीजेपी (BJP) का साथ छोड़ देते हैं या बिहार के विकास (खासकर मुसलमानों और सीमांचल के लिए) कोई ठोस कदम उठाते हैं, तो उनकी पार्टी जेडीयू (JDU) को कंधा देने से पीछे नहीं हटेगी।
सीमांचल का एंगल और ओवैसी की शर्त
ओवैसी ने यह ऑफर खाली हाथ नहीं दिया है, इसके पीछे उनकी एक 'शर्त' और चिंता भी है।
बिहार का सीमांचल (Seemanchal) इलाका (किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार) ओवैसी की पार्टी का गढ़ माना जाता है। ओवैसी चाहते हैं कि इस इलाके के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सरकार विशेष ध्यान दे। उनका यह बयान इशारा कर रहा है कि वे भविष्य में 'किंगमेकर' की भूमिका निभाने का सपना देख रहे हैं।
नीतीश के लिए क्या मायने हैं?
नीतीश कुमार के बारे में एक बात मशहूर है कि वे अपने पत्ते कभी नहीं खोलते। एक तरफ वे एनडीए (NDA) में हैं, लेकिन अक्सर दबाव की राजनीति करते रहते हैं। ऐसे में ओवैसी का यह ऑफर नीतीश के लिए एक 'बैकअप प्लान' या बीजेपी को डराने का एक हथियार साबित हो सकता है।
ओवैसी के इस बयान के बाद सवाल उठने लगे हैं:
- क्या नीतीश कुमार फिर से एनडीए में असहज महसूस कर रहे हैं?
- क्या ओवैसी बीजेपी को रोकने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं?
- क्या बिहार में कोई नया राजनीतिक खिचड़ी पक रही है?
फिलहाल, इस बयान ने सर्दियों की शुरुआत में बिहार का सियासी पारा जरूर चढ़ा दिया है। जनता भी कनफ्यूज है कि आखिर नेताओं के मन में चल क्या रहा है!
--Advertisement--