तमिलनाडु का एक ऐसा मंदिर, जहाँ भगवान विष्णु चक्र रूप में पूजे जाते हैं अरुलमिगु चक्रपाणि मंदिर की अनोखी कहानी

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News India Live, Digital Desk : भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है, लेकिन दक्षिण भारत (South India) की तो बात ही कुछ और है। यहाँ के हर पत्थर और हर दीवार के पीछे एक कहानी छिपी है। आज हम आपको एक ऐसे ही चमत्कारी और अनोखे मंदिर की सैर पर ले चलते हैं, जिसके बारे में शायद उत्तर भारत में बहुत कम लोग जानते हैं।

यह मंदिर है अरुलमिगु चक्रपाणि स्वामी मंदिर (Arulmigu Chakrapani Swami Temple)

तमिलनाडु के कुंभकोणम शहर को 'मंदिरों का शहर' कहा जाता है, और यहीं कावेरी नदी के तट पर बसा है यह अद्भुत धाम। लेकिन इस मंदिर में ऐसा क्या ख़ास है जो इसे बाकियों से अलग बनाता है? आइए जानते हैं।

नाम में ही छिपा है राज

'चक्रपाणि' का मतलब होता है— वो जिसके हाथ में चक्र हो। आमतौर पर हम भगवान विष्णु की मूर्तियों में शंख, गदा, और पद्म देखते हैं, लेकिन इस मंदिर में सारा महत्व 'सुदर्शन चक्र' का है। यहाँ भगवान विष्णु को उनके "चक्र राजा" रूप में पूजा जाता है।

माना जाता है कि यह मंदिर सिर्फ़ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि वास्तुकला का भी एक बेमिसाल नमूना है।

भगवान विष्णु का 'त्रिनेत्र' रूप (Three-Eyed Vishnu)

आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि यहाँ भगवान विष्णु की जो मूर्ति है, उसकी तीन आँखें हैं! जी हाँ, आम तौर पर तीन आँखें भगवान शिव की होती हैं, लेकिन यहाँ विष्णु जी के इस विग्रह में तीसरी आँख भी दिखाई देती है। उनके आठ हाथ (Ashtabhuja) हैं, जो इसे बेहद दुर्लभ और शक्तिशाली बनाते हैं। ऐसा स्वरूप आपको शायद ही कहीं और देखने को मिले।

दिलचस्प पौराणिक कथा: जब सूर्य देव का घमंड टूटा

इस मंदिर से जुड़ी एक बहुत ही मशहूर कहानी है। कहते हैं एक बार सूर्य देव (Sun God) को अपनी चमक और तेज पर बहुत अभिमान हो गया था। उन्हें लगता था कि उनसे ज़्यादा तेजस्वी कोई नहीं है। लेकिन, भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की चमक के आगे सूर्य देव का तेज भी फीका पड़ गया।

तब अपनी भूल का अहसास होने पर सूर्य देव ने यहीं इसी स्थान पर तपस्या की और भगवान की शरण ली। तब से यह माना जाता है कि जो लोग अपनी कुंडली में सूर्य दोष या आँखों की समस्याओं से परेशान हैं, उन्हें यहाँ ज़रूर आना चाहिए। यहाँ सूर्य देव ने ही भगवान की पूजा की थी, इसलिए इसे 'भास्कर क्षेत्र' भी कहा जाता है।

भक्तों के लिए ख़ास क्यों?

यहाँ आने वाले भक्तों का मानना है कि 'चक्रपाणि' के दर्शन मात्र से ही जीवन के बुरे दौर (बुरे ग्रहों का प्रभाव) का नाश हो जाता है। ठीक वैसे ही जैसे सुदर्शन चक्र शत्रुओं का नाश करता है। यहाँ हर साल होने वाली रथ यात्रा और 'मासी मगम' त्यौहार देखने लायक होते हैं, जब पूरा कुंभकोणम शहर ढोल-नगाड़ों से गूंज उठता है।

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