क्रिकेट का एक ‘संत’ जिसने चुपचाप अपने जूते टांग दिए... चेतेश्वर पुजारा ने कहा अलविदा
एक विकेट गिरता था, और फिर मैदान पर एक ऐसा बल्लेबाज आता था, जिसे आउट करना गेंदबाजों के लिए लोहे के चने चबाने जैसा होता था। एक ऐसी चट्टान, जो घंटों तक क्रीज पर खड़ी रहती थी, तूफानी गेंदों को अपने शरीर पर झेल लेती थी, लेकिन अपना विकेट नहीं फेंकती थी। भारतीय क्रिकेट की उस 'नई दीवार' ने आज क्रिकेट के मैदान को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है। चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा कर दी है।
यह खबर सिर्फ एक क्रिकेटर के रिटायरमेंट की नहीं है, बल्कि यह टेस्ट क्रिकेट के एक सुनहरे और धैर्यवान युग के अंत का प्रतीक है।
पुजारा सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, एक सोच का नाम थे
आज का क्रिकेट टी-20 के चौकों-छक्कों की बारिश का है। यहां हर गेंद पर रन बनाने का दबाव होता है। ऐसे दौर में, चेतेश्वर पुजारा उस पुरानी, क्लासिक क्रिकेट के आखिरी योद्धाओं में से एक थे, जिनका मंत्र था - "पिच पर टिके रहो, रन अपने आप बनेंगे।"
उन्होंने रन बनाने से ज्यादा गेंदें खेलने पर ध्यान दिया। उनका मकसद सिर्फ अपना स्कोर बनाना नहीं, बल्कि सामने वाले गेंदबाज को थका देना होता था, उसकी सारी रणनीतियों को फेल कर देना होता था, ताकि बाद में आने वाले बल्लेबाज खुलकर खेल सकें।
कौन भूल सकता है ऑस्ट्रेलिया का वो दौरा, जब पुजारा ने कंगारू गेंदबाजों की तेज गेंदें अपनी छाती पर, अपने हाथों पर और अपने हेलमेट पर खाईं, लेकिन क्रीज नहीं छोड़ी। वह सिर्फ एक बल्लेबाज नहीं थे, वह एक योद्धा थे जो अपनी टीम के लिए किसी भी दर्द को सहने के लिए तैयार थे।
क्यों लिया यह फैसला?
पुजारा पिछले काफी समय से भारतीय टेस्ट टीम से बाहर चल रहे थे। सेलेक्टर्स अब युवा खिलाड़ियों को मौका देना चाहते थे, और शायद पुजारा को भी यह एहसास हो गया था कि अब नई पीढ़ी को जिम्मेदारी सौंपने का सही समय आ गया है। हालांकि, वह टीम से बाहर होने के बाद भी इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट में लगातार रन बना रहे थे, जो दिखाता है कि क्रिकेट के लिए उनका जुनून कभी कम नहीं हुआ।
उनका जाना भारतीय क्रिकेट में एक खालीपन छोड़ जाएगा। शायद अब कोई ऐसा बल्लेबाज देखने को न मिले, जिसके क्रीज पर आते ही पूरा देश यह सोचकर निश्चिंत हो जाता था कि "अब विकेट इतनी आसानी से नहीं गिरेगा।"
आपका शुक्रिया, चेतेश्वर पुजारा! उस धैर्य, उस लगन और उन अनगिनत गेंदों के लिए जो आपने देश के लिए खेलीं।
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