आजम खान के परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़ बेटे अब्दुल्ला को मिली 7 साल की जेलदो पासपोर्ट का खेल पड़ा भारी

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News India Live, Digital Desk : उत्तर प्रदेश की राजनीति और खास तौर पर रामपुर (Rampur) की खबरों पर नजर रखने वालों के लिए आज एक बहुत बड़ी खबर सामने आई है। समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर आजम खान (Azam Khan) का परिवार पहले ही कई कानूनी पचड़ों में फंसा हुआ है, और अब उनके बेटे अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam) को लेकर कोर्ट से एक ऐसा फैसला आया है जिसने उनकी सियासी जमीन हिलाकर रख दी है।

जी हां, खबर है कि दो पासपोर्ट (Two Passport Case) बनवाने के मामले में रामपुर की MP-MLA कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम को दोषी मानते हुए 7 साल की सजा सुनाई है।

आखिर क्या है यह पूरा मामला?
अगर आप सोच रहे हैं कि सिर्फ पासपोर्ट के लिए इतनी बड़ी सजा क्यों? तो मामला थोड़ा गहरा है। आरोप यह था कि अब्दुल्ला आजम के पास दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificates) थे और इन्ही के आधार पर उन्होंने दो पासपोर्ट बनवा रखे थे।

कहा जाता है कि राजनीति में एंट्री लेने और चुनाव लड़ने के लिए उम्र की हेराफेरी करने के मकसद से ये दस्तावेज़ बनवाए गए थे। इसी मामले में लंबे समय से सुनवाई चल रही थी और आज आखिरकार कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध माना है।

सिर्फ जेल नहीं, जुर्माना भी लगा
कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम को न सिर्फ 7 साल की जेल की सजा सुनाई है, बल्कि उन पर भारी भरकम जुर्माना (Fine) भी लगाया है। यह फैसला आजम खान के परिवार के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है क्योंकि इससे अब्दुल्ला के राजनीतिक करियर पर एक बड़ा सवालिया निशान लग गया है। हम सब जानते हैं कि कानून के मुताबिक, अगर किसी विधायक या नेता को 2 साल से ज्यादा की सजा होती है, तो उसकी विधायकी जा सकती है और वह लंबा चुनाव नहीं लड़ सकता।

आजम परिवार के लिए बुरा वक्त
बीते कुछ सालों से आजम खान, उनकी पत्नी और उनके बेटे सभी किसी न किसी केस में कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। समर्थकों में जहां मायूसी है, वहीं विरोधियों का कहना है कि "कानून अपना काम कर रहा है और जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा।"

इस फैसले के बाद अब यह देखना होगा कि अब्दुल्ला आजम के वकील हाईकोर्ट में अपील कब करते हैं, लेकिन फिलहाल के लिए तो रामपुर से लेकर लखनऊ तक सियासी गलियारों में बस इसी खबर की चर्चा है।

कानून से बढ़कर कोई नहीं होता, यह फैसला शायद यही सबक देता है।

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