यूपी में गंगा एक्सप्रेसवे का 88% निर्माण कार्य पूरा, मेरठ से प्रयागराज का सफर होगा और भी तेज़ और सुविधाजनक
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े और महत्वाकांक्षी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में से एक, गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण 594 किलोमीटर लंबाई में हो रहा है। अगस्त 2025 तक एक्सप्रेसवे का लगभग 88% काम पूरा हो चुका है, और इसे नवंबर 2025 तक पूरी तरह से तैयार करने का लक्ष्य है। यह छह लेन का एक्सप्रेसवे है, जिसे भविष्य में 8 लेन तक बढ़ाया जा सकेगा। स्थानीय लोगों के लिए सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसकी एक ओर 3.75 मीटर चौड़ी सर्विस रोड भी बनाई जा रही है।
गंगा एक्सप्रेसवे की प्रमुख बातें
यह एक्सप्रेसवे मेरठ से शुरू होकर प्रयागराज तक फैला है, जो एनएच-334 से एनएच-2 बाईपास तक चलता है, और कुल 12 जिलों से होकर गुजरता है। जिन जिलों को इसका लाभ मिलेगा उनमें मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज शामिल हैं।
निर्माण की प्रगति इतनी प्रभावशाली रही है कि मुख्य कैरिजवे का 99% अर्थवर्क (भूमि कार्य) पूरा हो चुका है। कर्ब और गटर का काम 100% कंप्लीट है, जबकि अन्य सड़कों का आधार कार्य जैसे ग्रेन्युलर सब-बेस (GSB) और वेट मिक्स मैकडम (WMM) लगभग 96% और डेंस बिटुमिनस मैकडम (DBM) 95% तैयार हो चुका है।
कुल 1500 से ज्यादा निर्माणाधीन संरचनाओं में से 1487 का निर्माण पूरा हो चुका है, जिसमें ब्रिज, ओवरब्रिज, फ्लाईओवर जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
इस एक्सप्रेसवे पर दो मुख्य टोल प्लाजा मेरठ और प्रयागराज में स्थापित किए जाएंगे, जबकि रास्ते में 15 रैंप टोल प्लाजा भी होंगे।
गंगा एक्सप्रेसवे के फायदे
इस हाईस्पीड एक्सप्रेसवे के पूरा होने से मेरठ से प्रयागराज की यात्रा अब तक की तुलना में लगभग 6 घंटे तक तेज हो जाएगी, जिससे दोनों पूर्वी और पश्चिमी यूपी के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
12 जिलों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिसका सीधा प्रभाव रोजगार सृजन और निवेश में वृद्धि के रूप में देखने को मिलेगा। फार्मा, कपड़ा, फूड प्रोसेसिंग, वेयरहाउसिंग, और लॉजिस्टिक क्षेत्र में कई कंपनियां इस कॉरिडोर के विकास में रुचि दिखा चुकी हैं।
स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों के लिए बेहतर ट्रांसपोर्ट सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे व्यापार और आवागमन दोनों आसान होंगे।
आधुनिक और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील इन्फ्रास्ट्रक्चर के तहत इसे स्मार्ट और ग्रीन एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित किया जा रहा है।
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