बांके बिहारी का 54 साल पुराना गुप्त तहखाना खुला, अंदर जो मिला, उससे अंबानी भी शरमा जाएं

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News India Live, Digital Desk: मथुरा-वृन्दावन की गलियों में आज का दिन इतिहास में दर्ज हो गया है. श्रीकृष्ण भक्तों और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की धड़कनें आज उस वक्त बढ़ गईं, जब श्री बांके बिहारी मंदिर के उस 'खजाने' का ताला खोला गया, जो पिछले 54 सालों से बंद था. यह कोई मामूली तहखाना नहीं है, बल्कि इसके अंदर मंदिर का वो कीमती सामान रखा है, जिसे आज तक किसी ने नहीं देखा.

यह 'खजाना' मंदिर के गर्भगृह के पास बने 'कोष' कक्ष (खजाना घर) में था, जिसे आखिरी बार 23 दिसंबर, 1969 को बंद किया गया था. तब से लेकर आज तक इसे कभी नहीं खोला गया.

क्यों खोला गया 54 साल बाद यह तहखाना?

मंदिर में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ और सुविधाओं की कमी को देखते हुए, कुछ महीने पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर परिसर में प्रस्तावित 'बिहारी जी कॉरिडोर' के निर्माण की इजाजत दी थी. इसी कॉरिडोर के सर्वे और निर्माण कार्य के लिए इस प्राचीन तहखाने को खोलना ज़रूरी हो गया था.

कैसा था अंदर का मंज़र?

शुक्रवार को मंदिर के पट बंद होने के बाद, इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए एडवोकेट कमिश्नर, सिविल जज (जूनियर डिविजन) और पुरातत्व विभाग (ASI) के अधिकारियों की मौजूदगी में इस ऐतिहासिक तहखाने के ताले खोले गए.

अंदर जो कुछ भी था, उसकी पूरी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की गई. अधिकारियों ने बताया कि अंदर मिली हर एक चीज़ की एक लिस्ट बनाई जा रही है. शुरुआती जानकारी के मुताबिक, तहखाने से ये चीजें मिली हैं:

  • सोने-चाँदी के बेशकीमती बर्तन: पुराने ज़माने के चांदी के बड़े-बड़े थाल, कटोरे, गिलास और सोने के पूजा पात्र. इनकी कलाकृति और मूल्य आज के समय में अरबों में हो सकता है.
  • कीमती जेवरात: पुराने समय के राजा-महाराजाओं और अमीर सेठों द्वारा बिहारी जी को चढ़ाए गए सोने, हीरे और पन्ने के आभूषण.
  • पुराने सिक्के और मोहरें: सैकड़ों साल पुराने सोने और चाँदी के सिक्के और मोहरें भी मिली हैं, जो ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं.

अब क्या होगा इस खजाने का?

पुरातत्व विभाग की टीम इन सभी वस्तुओं की जाँच करेगी. वे यह पता लगाएंगे कि ये चीजें कितनी पुरानी हैं, किस धातु की बनी हैं और इनका ऐतिहासिक महत्व क्या है. पूरी लिस्ट और रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे अदालत में पेश किया जाएगा. इसके बाद ही यह तय होगा कि इस अनमोल खजाने को आम भक्तों के दर्शन के लिए रखा जाएगा या इसे वापस सुरक्षित रख दिया जाएगा.

यह घटना सिर्फ एक तहखाने का खुलना नहीं है, बल्कि इतिहास के उन पन्नों का खुलना है जो पिछले आधी सदी से बंद थे. बांке बिहारी का यह 'गुप्त' खजाना अब दुनिया के सामने है, और इसकी चमक भक्तों के साथ-साथ इतिहासकारों की आँखों को भी चौंधिया रही है.

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