Women's T20 World Cup : जब किस्मत ने दिया दूसरा मौका ,शेफाली वर्मा की अधूरी कहानी हुई पूरी

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News India Live, Digital Desk : Women's T20 World Cup :  खेल की दुनिया में कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो सिर्फ़ हार-जीत के आँकड़ों से कहीं बढ़कर होती हैं। ये कहानियाँ होती हैं गिरने, फिर उठकर दौड़ने और अपनी किस्मत को फिर से लिखने की। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की युवा कप्तान शेफाली वर्मा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।

याद है आपको 2020 का टी20 वर्ल्ड कप फाइनल? ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ मेलबर्न का वह खचाखच भरा स्टेडियम और 16 साल की एक लड़की, जिसके एक छूटे हुए कैच ने शायद मैच का रुख पलट दिया था। उस दिन शेफाली के आँसू पूरे देश ने देखे थे। वह सिर्फ़ एक कैच नहीं था, वह एक सपना था जो हाथ से फिसल गया था। उस हार का दर्द इतना गहरा था कि शेफाली को उससे उबरने में काफ़ी समय लगा। उन्होंने ख़ुद माना कि वह रातें सो नहीं पाती थीं।

समय का पहिया घूमा, और किस्मत ने दरवाज़े पर फिर दस्तक दी

कहते हैं, बहादुर लोगों को किस्मत दूसरा मौक़ा ज़रूर देती है। चार साल बाद, वही शेफाली वर्मा एक बार फिर वर्ल्ड कप के फाइनल में थीं, लेकिन इस बार हालात बदल चुके थे। अब वह सिर्फ़ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि टीम की कप्तान थीं। ज़िम्मेदारी बड़ी थी और सामने थी वही पुरानी चुनौती - ऑस्ट्रेलिया।

फाइनल मैच में शेफाली ने जो किया, वह सिर्फ़ शानदार क्रिकेट नहीं था, बल्कि उस पुराने दर्द का जवाब था। उन्होंने न सिर्फ़ बल्ले से 45 गेंदों में ताबड़तोड़ 79 रन बनाकर मैच का रुख भारत की ओर मोड़ा, बल्कि मैदान पर उनकी कप्तानी में भी एक अलग ही आत्मविश्वास और शांति नज़र आई। उन्होंने अपने गेंदबाज़ों का बेहतरीन इस्तेमाल किया और हर मुश्किल घड़ी में टीम को सँभाले रखा।

एक सपने का सच होना

जब भारत ने वह विजयी रन लिया, तो शेफाली की आँखों में फिर से आँसू थे। लेकिन इस बार ये हार के नहीं, बल्कि सालों के इंतज़ार, मेहनत और उस एक बुरे दिन को पीछे छोड़ देने की ख़ुशी के थे। ट्रॉफी उठाते हुए उनके चेहरे पर जो मुस्कान थी, वह सिर्फ़ एक कप्तान की नहीं, बल्कि उस 16 साल की लड़की की थी, जिसने आज अपनी अधूरी कहानी को ख़ुद पूरा कर लिया था।

शेफाली वर्मा की यह जीत हमें सिखाती है कि अतीत की ग़लतियाँ हमें परिभाषित नहीं करतीं। असली जीत हार मान लेने में नहीं, बल्कि उन ग़लतियों से सीखकर, और मज़बूती से वापसी करने में है। यह सिर्फ़ एक वर्ल्ड कप की जीत नहीं है, यह एक खिलाड़ी के जुनून, हिम्मत और कभी हार न मानने वाले जज़्बे की जीत है।

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