क्या इस दिवाली दिल्ली में चलेंगे पटाखे? प्रदूषण और परंपरा की लड़ाई में सरकार ने निकाला ‘बीच का रास्ता’
दिवाली का त्योहार... यानी दीये की रोशनी, मिठाइयों की मिठास और... पटाखों का शोर। लेकिन पिछले कुछ सालों से दिल्ली-NCR के लोगों के लिए पटाखों का यह शोर एक सपना बनकर रह गया है। जानलेवा प्रदूषण के कारण सुप्रीम कोर्ट ने यहां पटाखों पर लगभग पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है।
हर साल दिवाली आती है, और दिल्ली की हवा में धुएं के साथ-साथ एक बहस भी घुल जाती है - क्या त्योहार बिना पटाखों के मनाया जा सकता है?
लेकिन अब, दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार इस ‘चुप्पी’ को तोड़ने और इस बहस का एक हल निकालने के लिए एक बड़ी कोशिश करने जा रही है। सरकार ने फैसला किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी और इस पाबंदी में थोड़ी ढील देने की गुहार लगाएगी।
तो क्या अब फिर से चलेंगे जहरीले पटाखे? नहीं!
सरकार का प्लान ‘सब कुछ पहले जैसा’ करने का नहीं है... बल्कि एक ‘बीच का रास्ता’ निकालने का है। दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट से यह अपील करने जा रही है कि दिल्ली में सामान्य पटाखों की जगह, सर्टिफाइड ‘ग्रीन पटाखों’ (Green Firecrackers) को चलाने की इजाजत दी जाए।
क्या हैं ये ‘ग्रीन पटाखे’?
यह पटाखे सामान्य पटाखों की तुलना में लगभग 30% कम प्रदूषण फैलाते हैं। इन्हें वैज्ञानिक तरीके से बनाया जाता है ताकि इनसे निकलने वाले हानिकारक केमिकल कम हों।
सरकार क्यों उठा रही है यह कदम?
सरकार की दलील के पीछे दो बड़ी वजहें हैं:
- लोगों की आस्था: सरकार का मानना है कि दिवाली का त्योहार लोगों की आस्था और भावनाओं से जुड़ा है। पूरी तरह से पाबंदी लगाने से त्योहार का एक बड़ा हिस्सा अधूरा रह जाता है।
- चोरी-छिपे जलते हैं ज्यादा जहरीले पटाखे: सरकार का यह भी तर्क है कि जब लोग चोरी-छिपे गैर-कानूनी और ज्यादा जहरीले पटाखे जलाते हैं, तो उससे कहीं बेहतर है कि उन्हें एक नियंत्रित और कम प्रदूषण वाला कानूनी विकल्प दिया जाए।
अब आगे क्या?
अब सारी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। पर्यावरण की चिंता और लोगों की आस्था के बीच, कोर्ट क्या फैसला लेता है, यह देखना बहुत महत्वपूर्ण होगा। क्या कोर्ट दिल्ली सरकार की इस दलील को मानेगा? क्या इस बार दिल्ली वालों को एक सीमित और ‘हरी-भरी’ दिवाली मनाने का मौका मिलेगा? इसका जवाब जल्द ही मिलेगा, लेकिन इस कदम ने लाखों लोगों के मन में एक उम्मीद जरूर जगा दी है।
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