मानसून में क्यों बढ़ जाता है लेप्टोस्पाइरॉसिस का खतरा और कैसे रखें खुद को सुरक्षित?

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लेप्टोस्पाइरॉसिस यानी ‘रैट फीवर’ एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो हर साल मानसून के दौरान तेजी से फैलता है। इसकी वजह है भारी बारिश, जलजमाव और बाढ़ से गंदे पानी और मिट्टी से इंसानों का संपर्क बढ़ जाना। यह बैक्टीरिया जो मुख्य तौर पर चूहों के पेशाब में होता है, बारिश के मौसम में तेजी से फैलता है, जिससे बीमारी का खतरा ज्यादा हो जाता है।

हमने इस बीमारी पर एक्सपर्ट डॉ. अनिकेत मुले, कंसल्टेंट - इंटर्नल मेडिसिन, KIMS हॉस्पिटल्स, ठाणे से बातचीत की। उनके अहम सुझाव और जानकारियां आपके लिए उपयोगी होंगी।

मानसून में लेप्टोस्पाइरॉसिस ज्यादा क्यों होता है?

बारिश के समय सड़कें जलमग्न हो जाती हैं, जिसमें गंदा पानी, गंदगी और गंदे नालों का पानी भी शामिल होता है। यह स्थिति लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया के पनपने के लिए अनुकूल होती है। जब लोग बाढ़ या जलजमाव वाले इलाकों से गुजरते हैं तो ये बैक्टीरिया उनकी त्वचा के कट, घाव, या नाक, आंख, और मुंह के रास्ते शरीर में घुस सकते हैं। इसीलिए गांवों और शहरों में रोजाना जलजमाव में चलना इस बीमारी के फैलाव को बढ़ाता है।

लेप्टोस्पाइरॉसिस के लक्षण क्या हैं?

शुरुआती लक्षण सामान्य वायरल फीवर या फ्लू जैसे हो सकते हैं — बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और आंखों में लालिमा। लेकिन अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह संक्रमण लीवर, किडनी या फेफड़ों तक फैल सकता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।

मानसून में सुरक्षित कैसे रहें?

जलजमाव में नंगे पैर ना चलें, यदि जरूरी हो तो प्रोटेक्टिव फुटवियर पहनें।

कट या घाव को वाटरप्रूफ ड्रेसिंग से ढक कर रखें।

घर और आसपास चूहों को दूर रखें और खाने-पीने की चीजें सुरक्षित जगह पर स्टोर करें।

सफाई का खास ध्यान दें, ताकि बैक्टीरिया के संपर्क से बचा जा सके।

क्या जीवनशैली भी मदद करती है?

जी हां, स्वच्छ पानी पीना (उबला हुआ या फिल्टर्ड), फल और सब्जियां अच्छी तरह धोना, और हाथों की सफाई जैसे साधारण उपाय जोखिम कम करते हैं। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग जैसे बच्चे, बुजुर्ग और क्रॉनिक बीमारियां रखने वाले विशेष ध्यान रखें।

डॉ. मुले का कहना है, “समय पर सही इलाज और सावधानी से इस बीमारी को रोका जा सकता है।” बारिश का मौसम गर्मी से राहत देता है, लेकिन सावधानी ही इसे खुशी का मौसम बनाती है।

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