Death Ceremonies : शोक में सफेद ही क्यों? यह सिर्फ परंपरा नहीं, मन और आत्मा की शांति का प्रतीक है

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News India Live, Digital Desk : Death Ceremonies : जीवन और मृत्यु  दुनिया के दो सबसे बड़े सच। जब कोई अपना इस दुनिया से चला जाता है, तो पीछे छूट जाती हैं यादें और मातम। आपने गौर किया होगा कि भारतीय संस्कृति, खासकर हिन्दू धर्म में, किसी के निधन पर लोग सफेद कपड़े (White Clothes) पहनकर जाते हैं। जबकि पश्चिमी देशों (West) में और ईसाई धर्म में लोग काले (Black) कपड़े पहनते हैं।

कभी सोचा है ऐसा क्यों? क्या यह सिर्फ़ एक नियम है या इसके पीछे कोई गहरा अर्थ है? सच तो यह है कि इसके पीछे धार्मिक आस्था के साथ-साथ एक बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक (Psychological) और वैज्ञानिक कारण भी है।

आइए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर हम दुख की घड़ी में 'सफेद' ही क्यों चुनते हैं।

1. रंगों से "विराग" लेने का वक्त (Symbol of Detachment)

जब इंसान जिन्दा होता है, तो वह समाज में अपनी पहचान, रुतबे और खुशियों को दिखाने के लिए रंग-बिरंगे कपड़े पहनता है। लेकिन मौत, जीवन के सारे 'रंगों' के खत्म होने का नाम है।

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मरने के बाद इंसान का नाता इस भौतिक दुनिया (Moh-Maya) से टूट जाता है।
  • सफेद रंग "सादगी" और "त्याग" का प्रतीक है। शोक सभा में सफेद कपड़े पहनकर हम यह दर्शाते हैं कि हम उस जाने वाले की आत्मा के सम्मान में दुनियादारी के ताम-झाम से दूर हो गए हैं।

2. नकारात्मक ऊर्जा से बचाव (Repels Negative Energy)

विज्ञान और अध्यात्म, दोनों मानते हैं कि रंग हमारे वातावरण पर असर डालते हैं।

  • काला रंग (Black): यह गर्मी और नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) को सोखता है (Absorbs)। जब कोई मरता है, तो वहां का माहौल भारी और दुखद होता है। काला रंग पहनने से वह दुख और नकारात्मकता हमारे अंदर समा सकती है।
  • सफेद रंग (White): यह प्रकाश और ऊर्जा को परावर्तित (Reflect) करता है। सफेद कपड़े पहनने से शोक का नकारात्मक असर हमारे मन-मस्तिष्क पर कम पड़ता है। यह हमें अंदर से शांत रहने में मदद करता है।

3. मन को मिलती है सांत्वना (Psychological Peace)

सफेद रंग को शांति (Peace) का प्रतीक माना जाता है। जब कोई परिवार दुख में होता है, तो उन्हें सांत्वना और सुकून की जरूरत होती है।
जरा सोचिए, अगर किसी की शवयात्रा में लोग लाल, पीले या भड़कीले कपड़े पहनकर जाएं, तो वो कितना अजीब और बेचैन करने वाला लगेगा? सफेद रंग आंखों को सुकून देता है और माहौल में गंभीरता व शांति बनाए रखता है।

4. स्वच्छता का भी है कनेक्शन (Concept of Hygiene)

पुराने ज़माने में इसका एक वैज्ञानिक कारण भी था। जब किसी की मौत होती थी, तो वहां बैक्टीरिया या इन्फेक्शन का खतरा हो सकता था।

  • सफेद कपड़े पर अगर थोड़ी सी भी गंदगी या कीटाणु लगे, तो वो तुरंत दिखाई दे जाते हैं।
  • अंतिम संस्कार के बाद नहाना और कपड़े धोना अनिवार्य होता है। सफेद कपड़ों में गंदगी साफ दिखी, इसलिए इन्हें पहनने से स्वच्छता बनाए रखना आसान होता था।

नई शुरुआत का इशारा

कई जगह यह भी माना जाता है कि आत्मा एक कपड़े (शरीर) को छोड़कर नई यात्रा पर निकली है। सफेद रंग "सच्चाई" और "पवित्रता" (Purity) को दर्शाता है। यह प्रार्थना होती है कि जाने वाले की आत्मा को शांति मिले और उसका अगला सफर बेदाग हो।

तो अगली बार जब आप किसी को सफेद कपड़ों में शोक मनाते देखें, तो याद रखिएगा कि यह सिर्फ एक ड्रेस कोड नहीं, बल्कि मन की शांति और आत्मा के सम्मान का एक तरीका है।

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