सर्दियों में क्यों बढ़ जाते हैं हाई ब्लड प्रेशर के मरीज? एक्सपर्ट से जानें, इस मौसम में क्या रखें खास ख्याल
आजकल उच्च रक्तचाप के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं, और ठंड में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। सर्दियों में तापमान गिरने के साथ-साथ ठंड बढ़ने पर हमारे शरीर की रक्त वाहिकाएँ सिकुड़ जाती हैं (छोटी हो जाती हैं)। नसों के सिकुड़ने से रक्त संचार के लिए जगह कम हो जाती है, जिसके परिणाम स्वरूप रक्तचाप (बीपी) स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है।

सर्दियों में उच्च रक्तचाप कई गंभीर हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। उच्च रक्तचाप से हृदयाघात, स्ट्रोक और गुर्दे की समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ठंड में रक्त संचार धीमा होने से सीने में दर्द, चक्कर आना, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, थकान और पैरों में सूजन जैसे लक्षण हो सकते हैं।

कुछ लोगों में, रक्तचाप में अचानक वृद्धि से दृष्टि धुंधली हो सकती है, नाक से खून आ सकता है और सिरदर्द भी हो सकता है। ये सभी संकेत खतरे का संकेत देते हैं और इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। उच्च रक्तचाप के रोगियों को सर्दियों में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

डॉ. एल.एच. घोटकर ने बताया कि ठंड के मौसम में उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी ज़रूरी हैं। सबसे पहले, अपने शरीर को गर्म रखें और बिना गर्म कपड़ों के ठंडी हवा में बाहर जाने से बचें। रक्त संचार को सुचारू बनाए रखने के लिए रोज़ाना हल्की शारीरिक गतिविधियाँ जैसे टहलना, योग या स्ट्रेचिंग करना चाहिए।

इस मौसम में लोग कम पानी पीते हैं, जिससे डिहाइड्रेशन और लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। इसलिए, दिन भर में पर्याप्त पानी पीना बेहद ज़रूरी है। तनाव कम करने के लिए सजग रहना बेहद फायदेमंद है। ये आदतें सर्दियों में ब्लड प्रेशर को स्थिर रखने में मदद करती हैं।

यह भी ज़रूरी है: गर्म पानी से नहाएँ। अपने रक्तचाप की नियमित जाँच करें। विटामिन डी की कमी से बचने के लिए हल्की धूप में रहें। पर्याप्त नींद लें और तनाव कम करें।

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