अमेरिकी फेड ने घटाईं ब्याज दरें, पर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से क्यों बना रहे हैं दूरी?

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नई दिल्ली: अमेरिका से एक ऐसी खबर आई है जिसका असर पूरी दुनिया के शेयर बाजारों पर पड़ता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व (वहां के सेंट्रल बैंक) ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती कर दी है। आसान भाषा में कहें तो अमेरिका में अब पैसा उधार लेना थोड़ा सस्ता हो गया है।

आमतौर पर, जब भी ऐसा होता है, तो भारत जैसे विकासशील देशों के लिए जश्न का माहौल बन जाता है। विदेशी निवेशक (FIIs), जो हमेशा ज्यादा मुनाफे की तलाश में रहते हैं, अपना पैसा अमेरिका से निकालकर भारत जैसे बाजारों में लगाने लगते हैं। लेकिन इस बार कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट है। बाजार के बड़े-बड़े जानकार मान रहे हैं कि फेड के इस फैसले के बावजूद विदेशी निवेशक भारत में पैसा डालने के लिए कोई खास जल्दी नहीं दिखाएंगे।

तो फिर दिक्कत कहां है?

सोचिए, सब कुछ अच्छा लग रहा है, फिर भी विदेशी निवेशक भारत आने से क्यों कतरा रहे हैं? इसके पीछे कुछ बड़े और ठोस कारण हैं:

  1. हद से ज्यादा महंगा भारतीय बाजार: सबसे बड़ी वजह है भारतीय शेयर बाजार का महंगा होना। पिछले कुछ समय में हमारे बाजार में इतनी तेजी आई है कि कई अच्छी कंपनियों के शेयर अपनी असल कीमत से कहीं ज्यादा पर पहुंच गए हैं। विदेशी निवेशकों को लग रहा है कि इस महंगी कीमत पर खरीदारी करना घाटे का सौदा हो सकता है।
  2. चीन और दूसरे एशियाई बाजार हैं सस्ते: विदेशी निवेशक हमेशा 'वैल्यू फॉर मनी' देखते हैं। इस समय चीन और कुछ दूसरे एशियाई देशों के शेयर बाजार भारत के मुकाबले काफी सस्ते मिल रहे हैं। ऐसे में, निवेशकों को लग रहा है कि भारत की महंगी दुकान पर खरीदारी करने से बेहतर है कि वही पैसा चीन जैसे सस्ते बाजारों में लगाया जाए जहां ज्यादा मुनाफा मिलने की उम्मीद है।
  3. मुनाफा वसूली का डर: विदेशी निवेशक इस साल भारतीय बाज़ार में पहले ही भारी निवेश कर चुके हैं। अब जबकि बाज़ार अपने चरम पर है, उन्हें डर है कि यहाँ से ऊपर जाना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, नया पैसा लगाने के बजाय, कई पुराने निवेशक अपना मुनाफ़ा बेचकर बाहर निकलने पर विचार कर सकते हैं।

संक्षेप में, अमेरिका ने भले ही दुनिया के लिए रास्ता खोल दिया हो, लेकिन भारत का महंगा बाज़ार फ़िलहाल विदेशी निवेशकों के लिए 'स्पीड ब्रेकर' का काम कर रहा है। जब तक बाज़ार थोड़ा सस्ता और आकर्षक नहीं होता, तब तक विदेशी धन के भारी प्रवाह की उम्मीद करना जल्दबाज़ी होगी।

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