बिहार में किसकी बनेगी सरकार? एग्जिट पोल में NDA और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर

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News India Live, Digital Desk:  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के आखिरी चरण का मतदान खत्म होते ही अब सबकी निगाहें एग्जिट पोल के नतीजों पर टिक गई हैं. क्या नीतीश कुमार की अगुवाई वाला एनडीए (NDA) अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रहेगा, या फिर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन (Mahagathbandhan) इस बार बाजी मार लेगा? आज तक-एक्सिस माय इंडिया (Aaj Tak-Axis My India) समेत तमाम प्रतिष्ठित एजेंसियों के एग्जिट पोल जो तस्वीर पेश कर रहे हैं, उससे बिहार की सियासत में जबरदस्त सस्पेंस पैदा हो गया है.

ज़्यादातर एग्जिट पोल बिहार में एक त्रिशंकु विधानसभा (Hung Assembly) की ओर इशारा कर रहे हैं, जहाँ किसी भी एक गठबंधन को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. ऐसे में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM छोटी-छोटी पार्टियों के रूप में 'किंगमेकर' की भूमिका में उभर सकती हैं.

क्या कहते हैं एग्जिट पोल के आंकड़े?

बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 122 का है.

  • आज तक-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार, NDA को 110-120 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि महागठबंधन को 105-115 सीटें मिल सकती हैं.
  • टुडेज चाणक्या ने भी लगभग यही तस्वीर पेश की है, जिसमें NDA और महागठबंधन के बीच फासला बहुत कम दिखाया गया है.
  • ज़्यादातर एग्जिट पोल में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को 5-10 सीटें और ओवैसी की AIMIM को सीमांचल क्षेत्र में 4-6 सीटें मिलती दिख रही हैं. अन्य छोटे दल और निर्दलीय भी 5-8 सीटों पर जीत हासिल कर सकते हैं.

क्यों फंसा है पेंच?

एग्जिट पोल के नतीजों से साफ है कि मुकाबला बेहद कड़ा रहा है. जहाँ एक तरफ NDA को प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे और नीतीश कुमार के स्थानीय शासन का फायदा मिलता दिखा, वहीं तेजस्वी यादव ने रोजगार और महंगाई जैसे मुद्दों पर युवाओं को अपने साथ जोड़ने की पुरजोर कोशिश की.

चिराग पासवान की LJP (रामविलास) ने भी कई सीटों पर NDA के वोट बैंक में सेंध लगाई है, जिसका सीधा फायदा महागठबंधन को मिल सकता है.

अब प्रशांत किशोर और ओवैसी पर निगाहें

अगर असली नतीजे भी एग्जिट पोल के आसपास ही रहते हैं, तो बिहार में सरकार बनाने की चाबी प्रशांत किशोर और ओवैसी के हाथों में होगी.

  • प्रशांत किशोर (JSP): चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर पहली बार अपनी पार्टी के साथ चुनावी मैदान में थे. अगर उन्हें 5 से 10 सीटें मिलती हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वे नीतीश कुमार के साथ जाएंगे या तेजस्वी को समर्थन देंगे. प्रशांत किशोर, नीतीश और तेजस्वी, दोनों के साथ पहले काम कर चुके हैं.
  • असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM): ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में महागठबंधन के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई है. अब सवाल यह उठता है कि क्या ओवैसी, जिनके निशाने पर हमेशा बीजेपी रहती है, सरकार बनाने के लिए तेजस्वी यादव का साथ देंगे या कोई और रास्ता अपनाएंगे.

फिलहाल, एग्जिट पोल ने बिहार की राजनीतिक तस्वीर को बेहद रोमांचक बना दिया है. नेताओं की धड़कनें बढ़ी हुई हैं और अब सबको असली नतीजों का इंतजार है. यह तो तय है कि अगर किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, तो पटना में सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ की राजनीति का एक लंबा दौर देखने को मिलेगा.

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