गाड़ी में लगी छोटी-मोटी खरोंच, क्या इंश्योरेंस क्लेम करना है समझदारी? कहीं फायदे से ज्यादा नुकसान न हो जाए

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अक्सर ऐसा होता है कि ट्रैफिक में या पार्किंग के दौरान हमारी गाड़ी पर छोटी-मोटी खरोंच लग जाती है या कोई मामूली नुकसान हो जाता है। ऐसे में पहला ख्याल यही आता है कि हमारे पास कार इंश्योरेंस है, तो क्लेम ले लेते हैं। लेकिन क्या यह वाकई समझदारी है? कई बार ऐसा करना आपको फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।

क्या है नो-क्लेम बोनस (NCB)?

आइए इसे एक आसान उदाहरण से समझते हैं। इंश्योरेंस कंपनियां उन ग्राहकों को एक इनाम देती हैं, जो पूरे साल कोई भी क्लेम नहीं करते। इस इनाम को नो-क्लेम बोनस (NCB) कहा जाता है।

यह बोनस आपकी पॉलिसी रिन्यू करते समय प्रीमियम पर मिलने वाली छूट होती है। यह छूट 20% से शुरू होकर 50% तक जा सकती है। यानी, अगर आप 5 साल तक कोई क्लेम नहीं लेते, तो आपको अपनी पॉलिसी के प्रीमियम पर 50% तक की भारी छूट मिल सकती है।

छोटे नुकसान पर क्लेम क्यों है घाटे का सौदा?

अब सोचिए, आपकी गाड़ी पर 2000-3000 रुपये का कोई छोटा-मोटा नुकसान हुआ। आपने इसके लिए इंश्योरेंस क्लेम कर लिया। आपको उस समय तो पैसे नहीं देने पड़े, लेकिन अगली बार जब आप पॉलिसी रिन्यू कराएंगे, तो आपका सालों से जमा हुआ NCB 'जीरो' हो जाएगा।

इसका मतलब है कि जो 30%, 40% या 50% की छूट आपको प्रीमियम पर मिलने वाली थी, वह खत्म हो जाएगी। अगर आपका प्रीमियम 20,000 रुपये है, तो 50% NCB से आपको 10,000 रुपये की छूट मिलती। लेकिन एक छोटे से क्लेम की वजह से अब आपको पूरे 20,000 रुपये भरने होंगे। तो 2000 रुपये बचाने के चक्कर में आपने सीधे-सीधे 10,000 रुपये का नुकसान कर लिया।

तो क्या करना चाहिए?

  • नुकसान का आकलन करें: सबसे पहले देखें कि मरम्मत में कितना खर्च आ रहा है।
  • NCB से तुलना करें: हिसाब लगाएं कि क्लेम लेने पर आपको NCB का कितना नुकसान होगा।
  • स्मार्ट फैसला लें: अगर मरम्मत का खर्च आपके NCB से होने वाले फायदे से कम है, तो बेहतर यही है कि आप उसे अपनी जेब से भर दें। इससे आपका NCB भी बचा रहेगा और भविष्य में आपको प्रीमियम पर भारी छूट मिलती रहेगी।

याद रखिए, कार इंश्योरेंस बड़े नुकसान से बचाने के लिए होता है, छोटी-मोटी खरोंचों के लिए नहीं। थोड़ी सी समझदारी आपको हजारों रुपये बचा सकती है।

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