अनंत चतुर्दशी कब है, 6 या 7 सितंबर? जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्व

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भादों का महीना अपने अंतिम पड़ाव पर है और इसी के साथ समय आ गया है गणपति बप्पा को विदा करने का। गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है, जो हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह दिन सिर्फ गणपति विसर्जन के लिए ही नहीं, बल्कि भगवान विष्णु के अनंत (जिसका कोई अंत न हो) रूप की पूजा के लिए भी बेहद खास है।

हर साल की तरह, इस बार भी अनंत चतुर्दशी की सही तारीख को लेकर लोगों में थोड़ा भ्रम है। तो चलिए, जानते हैं कि साल 2025 में यह पर्व 6 सितंबर को मनाया जाएगा या 7 सितंबर को।

क्या है सही तारीख और शुभ मुहूर्त? (Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है। इस साल चतुर्दशी तिथि दो दिनों में पड़ रही है:

  • चतुर्दशी तिथि समाप्त: 7 सितंबर 2025, रविवार की सुबह [समय यहाँ आएगा] पर।

हिंदू धर्म में उदया तिथि (सूर्योदय के समय पड़ने वाली तिथि) को प्रधानता दी जाती है। इस नियम के अनुसार, अनंत चतुर्दशी का पर्व 7 सितंबर 2025, रविवार को मनाया जाएगा।

क्यों खास है अनंत चतुर्दशी का दिन?

1. भगवान विष्णु को है समर्पित:
इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

2. 'अनंत सूत्र' का महत्व:
इस पूजा की सबसे खास बात है 'अनंत सूत्र'। यह रेशम या सूत का एक धागा होता है, जिसमें 14 गांठें लगाई जाती हैं। इन गांठों को भगवान विष्णु के 14 रूपों का प्रतीक माना जाता है। पूजा के बाद पुरुष इस धागे को अपने दाहिने हाथ और महिलाएं बाएं हाथ की कलाई पर बांधती हैं। माना जाता है कि यह सूत्र हर संकट और विपत्ति से रक्षा करता है।

3. गणपति बप्पा की विदाई:
10 दिनों तक हमारे घरों में मेहमान बनकर रहने के बाद, अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति बप्पा की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। ढोल-नगाड़ों के साथ भक्त अपने प्यारे बप्पा को इस वादे के साथ विदा करते हैं कि "गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ"।

यह दिन भक्ति, आस्था और भगवान के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

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