क्या 'No-Cost EMI' सच में मुफ्त है? जानिए वो 'सीक्रेट' जो कंपनियां आपसे छिपाती हैं
त्योहारों का मौसम हो या कोई ऑनलाइन सेल, जब भी हम कोई महंगा सामान, जैसे नया फोन, फ्रिज या टीवी खरीदने का मन बनाते हैं, तो एक 'जादुई' शब्द हमें अपनी ओर खींचता है - "No-Cost EMI" यानी 'बिना ब्याज के किश्तें'।
यह सुनने में कितना अच्छा लगता है, है ना? कि आप 50,000 का फोन आज खरीद लें और अगले 6 महीनों तक बिना किसी अतिरिक्त ब्याज के, बस थोड़ी-थोड़ी रकम चुकाते रहें। ऐसा लगता है मानो कंपनी हमारी जेब का कितना ख्याल रख रही है!
लेकिन रुकिए! क्या यह सच में उतना ही सीधा और मुफ्त है जितना दिखता है? या फिर इस 'जीरो ब्याज' के पर्दे के पीछे कोई और ही खेल चल रहा है?
तो फिर खेल क्या है?
सच्चाई यह है कि दुनिया में कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता। 'No-Cost EMI' भी मुफ्त नहीं है। यह सिर्फ एक बहुत ही चालाकी से बनाया गया बिजनेस मॉडल है। इसमें ब्याज आपसे ही वसूला जाता है, बस तरीका थोड़ा घुमा-फिराकर होता है।
कैसे काम करता है यह 'जादू'?
इस खेल को समझने के लिए एक छोटा सा उदाहरण लेते हैं।
मान लीजिए, आप एक स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं जिसकी कीमत ₹30,000 है।
- अगर आप पूरा पैसा एक साथ देते हैं (Cash/Card Payment): तो दुकानदार आपको कुछ डिस्काउंट देकर शायद वही फोन ₹27,000 में दे देगा। (यानी आपको ₹3,000 का सीधा डिस्काउंट मिला)।
- अब आते हैं 'No-Cost EMI' पर: जब आप इसी फोन को No-Cost EMI पर लेते हैं, तो आपको यह ₹30,000 का ही पड़ता है। मान लीजिए 6 महीने की EMI है, तो आपकी किश्त ₹5,000 प्रति माह होगी।
तो नुकसान कहाँ हुआ?
नुकसान हुआ उस ₹3,000 के डिस्काउंट का, जो आपको एक साथ पेमेंट करने पर मिल रहा था।
असल में होता यह है कि बैंक आपसे ब्याज लेता है, लेकिन वह ब्याज की रकम डिस्काउंट के रूप में पहले ही कंपनी या दुकानदार द्वारा भर दी जाती है। यानी जो डिस्काउंट आपकी जेब में आना चाहिए था, वो आपकी EMI का ब्याज चुकाने में चला गया। तो technically, आपने ब्याज तो दिया, बस आपको पता नहीं चला।
दूसरा तरीका: प्रोसेसिंग फीस
कभी-कभी कुछ कंपनियां No-Cost EMI के साथ एक नॉन-रिफंडेबल 'प्रोसेसिंग फीस' लगा देती हैं। यह फीस और कुछ नहीं, बल्कि ब्याज का ही दूसरा नाम होती है।
तो क्या 'नो-कॉस्ट EMI' हमेशा बुरा है?
नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसका भी अपना एक फायदा है।
यह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन सुविधा है जो एक बार में बड़ी रकम खर्च नहीं कर सकते। No-Cost EMI आपको महंगा सामान खरीदने में सक्षम बनाती है। आप डिस्काउंट का त्याग करके, उस सामान को छोटे-छोटे हिस्सों में चुकाने की सुविधा खरीदते हैं।
तो आपको क्या करना चाहिए?
अगली बार जब आप 'No-Cost EMI' का ऑफर देखें, तो अंधे होकर उस पर क्लिक न करें।
- हमेशा तुलना करें: सबसे पहले यह चेक करें कि अगर आप पूरा पेमेंट एक साथ करते हैं, तो वह सामान आपको कितने का पड़ेगा।
- हिसाब लगाएं: अब देखें कि No-Cost EMI पर उसकी कुल कीमत कितनी पड़ रही है।
- छिपे हुए शुल्क देखें: क्या कोई प्रोसेसिंग फीस या कोई और चार्ज तो नहीं है?
- फैसला करें: अगर upfront पेमेंट और EMI की कीमत में ज़्यादा अंतर नहीं है और आपको किश्तों की ज़रूरत है, तो यह आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
संक्षेप में, No-Cost EMI एक सुविधा है, कोई फ्री गिफ्ट नहीं। इसका इस्तेमाल पूरी समझदारी और अपना हिसाब-किताब लगाकर ही करें।
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