West Champaran : 9 में से 7 सीटों पर NDA का कब्जा, कांग्रेस-RJD का नहीं खुला खाता

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News India Live, Digital Desk:  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने पश्चिमी चंपारण जिले में एनडीए गठबंधन की ताकत को एक बार फिर साबित कर दिया है। जिले की कुल 9 विधानसभा सीटों में से 7 पर एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) के उम्मीदवारों ने शानदार जीत दर्ज की है, जबकि 2 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गई हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) का यहां खाता भी नहीं खुल पाया।

जिले की जनता ने विकास और सुशासन के नाम पर एनडीए को जमकर वोट दिया है। बीजेपी ने यहां सबसे ज्यादा 5 सीटों पर जीत हासिल की है, वहीं जेडीयू को 2 सीटें मिली हैं। चलिए जानते हैं पश्चिमी चंपारण जिले की हर एक सीट का विस्तृत परिणाम।

पश्चिमी चंपारण की 9 सीटों का पूरा लेखा-जोखा: कौन बना आपका विधायक?

  1. वाल्मीकिनगर: यह सीट जेडीयू के खाते में गई है। यहां से धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह ने जीत दर्ज की है।
  2. रामनगर (SC): बीजेपी ने इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है। यहां से भागीरथी देवी ने शानदार जीत हासिल की है।
  3. नरकटियागंज: यह सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल थी और यहां से उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने एक बार फिर जीत दर्ज की है।
  4. बगहा: बीजेपी ने इस सीट पर भी अपना परचम लहराया है। राम सिंह यहां से विधायक चुने गए हैं।
  5. लौरिया: इस सीट पर बीजेपी के विनय बिहारी ने जीत की हैट्रिक लगाई है।
  6. नौतन: यह सीट भी बीजेपी के खाते में गई है। नारायण प्रसाद ने यहां से जीत हासिल की है।
  7. चनपटिया: बीजेपी के उमाकांत सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की है।
  8. सिकटा: इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार दिलावर खान ने जीत हासिल कर सबको चौंका दिया है।
  9. बेतिया: यहां से भी निर्दलीय उम्मीदवार वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने जीत दर्ज की है।

क्या रहे जीत के मायने?

पश्चिमी चंपारण के इन नतीजों ने साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी पर लोगों का विश्वास कायम है। खासकर, बीजेपी ने जिले में अपनी स्थिति को पहले से कहीं ज्यादा मजबूत किया है। उपमुख्यमंत्री रेणु देवी की जीत ने भी पार्टी के कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया है।

वहीं, आरजेडी और कांग्रेस के लिए यह परिणाम एक बड़ा झटका है। महागठबंधन का एक भी सीट न जीत पाना यह दिखाता है कि जिले में उनकी राजनीतिक पकड़ काफी कमजोर हो गई है। दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत यह भी दर्शाती है कि जनता ने पार्टी से ऊपर उठकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुना है। अब देखना यह है कि ये नए विधायक अपने क्षेत्र की 

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