
विटामिन डी की कमी को एक मूक महामारी के रूप में जाना जाता है। यह कमी सिर्फ हड्डियों की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती है और कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। भारत में पिछले कुछ वर्षों में इस समस्या से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, फिर भी लोग इस स्वास्थ्य समस्या को गंभीरता से नहीं लेते हैं या इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
आईसीआरआईईआर और एएनवीकेए फाउंडेशन द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि हर पांचवां भारतीय विटामिन डी की कमी का शिकार है। देश के विभिन्न भागों में यह समस्या अलग-अलग स्तर पर देखी जाती है, लेकिन पूर्वी भारत में स्थिति सबसे गंभीर है, जहां लगभग 39% लोग इस कमी से पीड़ित हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, आइए जानें कि भारत में इस कमी का कारण क्या है, किन लोगों को इसका सबसे अधिक खतरा है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए?
विटामिन डी की कमी: एक खामोश महामारी
विशेषज्ञों के अनुसार विटामिन डी की कमी सिर्फ हड्डियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर गंभीर बीमारियों को आमंत्रित करती है। इसका प्रभाव न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है।
किन लोगों को सबसे अधिक खतरा है?
बच्चे, किशोर, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग विटामिन डी की कमी से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। यह कमी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है। इसके अलावा, यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक गंभीर है।
ये स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं
विटामिन डी की कमी से पूरे शरीर पर असर पड़ता है, जिसमें हड्डियां कमजोर होना भी शामिल है। बच्चों में रिकेट्स और वयस्कों में हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोमैलेशिया) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, मांसपेशियों में कमजोरी, थकान, मूड में उतार-चढ़ाव और अवसाद भी देखा जाता है। इस कमी से हृदय रोग, मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है।
विटामिन डी की कमी को कैसे पूरा करें?
इस कमी को दूर करने के लिए दैनिक आहार में दूध और दही का सेवन बढ़ाना चाहिए। सुबह 7 से 8 बजे के बीच सूर्य की रोशनी का लाभ उठाना महत्वपूर्ण है। तेल और अनाज जैसे रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों में विटामिन डी की मात्रा बढ़ाई जानी चाहिए। इसके साथ ही, विटामिन डी की कमी के बारे में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाना भी जरूरी है, ताकि लोग इसके दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक हों और अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें। इस प्रकार, विटामिन डी की कमी भारत के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिस पर अब ध्यान देने की आवश्यकता है।