वेद सिर्फ शुद्ध मन वालों के लिए हैं, पढ़ें स्वामी कैलाशनंद गिरी का महत्व और अधिकार पर विचार

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प्रसिद्ध संत और हरिद्वार में श्री सिद्धबली सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर, स्वामी कैलाशनंद गिरी महाराज ने वेदों की महत्ता और उनके अध्ययन के अधिकार को लेकर एक महत्वपूर्ण बात कही है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वेद कोई साधारण पुस्तक नहीं, बल्कि ईश्वरीय ज्ञान हैं, और इन्हें हर किसी के द्वारा आसानी से समझ लेना या पढ़ा जाना संभव नहीं है।

वेद: ईश्वरीय ज्ञान का भंडार
स्वामी कैलाशनंद गिरी के अनुसार, वेद हिन्दू धर्म के सबसे प्राचीन और पवित्र ग्रंथ माने जाते हैं। इनमें सृष्टि के आरम्भ से लेकर मानव जीवन के उद्देश्य तक का गहरा ज्ञान छिपा है। इन्हें 'अपौरुषेय' (मनुष्य द्वारा रचित नहीं) माना जाता है, अर्थात यह ज्ञान सीधे परमपिता परमात्मा से प्राप्त हुआ है। इसलिए, इनका अध्ययन और अनुशीलन अत्यंत श्रद्धा, पवित्रता और एकाग्रता के साथ ही किया जाना चाहिए।

किसे है वेदों को पढ़ने का अधिकार?
स्वामी कैलाशनंद गिरी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वेदों को पढ़ने और समझने का अधिकार केवल कुछ विशिष्ट योग्यताओं वाले लोगों के लिए ही है। उनका आशय यह नहीं है कि यह अधिकार केवल जन्म या वर्ण के आधार पर हो, बल्कि मुख्य बात योग्यता, ज्ञान, मन की शुद्धि और ईश्वर के प्रति अटूट भक्ति है।

उन्होंने समझाया कि वेदों का ज्ञान अत्यंत सूक्ष्म और गूढ़ होता है। इसे केवल वही व्यक्ति समझ सकता है जिसका मन शांत, निर्मल और निष्कपट हो। जिसे वेदों को पढ़ने की इच्छा है, उसे पहले स्वयं को अनुशासित करना होगा, इंद्रियों पर नियंत्रण पाना होगा और अध्ययन के प्रति समर्पित भाव रखना होगा। यदि व्यक्ति का मन शुद्ध नहीं है, वह कामनाओं और वासनाओं से भरा है, तो वह वेदों के सार को कभी नहीं समझ पाएगा, चाहे वह उन्हें कितना भी क्यों न पढ़ ले।

ऐतिहासिक रूप से, ज्ञान और आध्यात्मिक अनुष्ठानों का नेतृत्व मुख्य रूप से ब्राह्मण वर्ग करता रहा है, क्योंकि उन्हें इस अध्ययन के लिए विशेष रूप से तैयार किया जाता था। हालाँकि, स्वामी कैलाशनंद गिरी का जोर इस बात पर है कि आज के युग में भी, जो व्यक्ति निष्ठा, पवित्रता, साधना और समर्पण के मार्ग पर चलता है, वही वेदों के वास्तविक अर्थ को समझ सकता है, चाहे उसका जन्म किसी भी वर्ग में हुआ हो।

वेदों का महत्व:
स्वामी कैलाशनंद गिरी ने यह भी बताया कि वेद केवल कर्मकांडों के बारे में नहीं हैं, बल्कि वे जीवन जीने की कला, नैतिकता, दर्शन और आत्म-ज्ञान का मार्ग भी बताते हैं। वेदों में छिपे ज्ञान का पालन करने से व्यक्ति न केवल अपने जीवन को बेहतर बना सकता है, बल्कि आध्यात्मिक उत्थान भी प्राप्त कर सकता है।

इस प्रकार, यह समझना महत्वपूर्ण है कि वेदों का अध्ययन एक पवित्र और गंभीर कार्य है, जिसके लिए सही योग्यता और निर्मल मन होना अत्यंत आवश्यक है।

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