Vastu Shastra : दही से जुड़े शकुन, रावण के पतन की कथा और दही का संबंध, जानें कब है इसका सेवन शुभ या अशुभ

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News India Live, Digital Desk: Vastu Shastra : भारतीय संस्कृति और वास्तु शास्त्र के अनुसार, दही को न केवल एक पौष्टिक खाद्य पदार्थ के रूप में, बल्कि अनेक शुभ-अशुभ शकुनों के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। यह मान्यता है कि दही के सेवन या उसके प्रयोग से जुड़े कुछ विशेष नियम होते हैं, जिनका पालन न करने पर जीवन में धन की हानि, आपसी मतभेद और प्रगति में रुकावटें आ सकती हैं। एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, लंकापति रावण के पतन का एक कारण दही से जुड़ा एक अपशकुन था। कहा जाता है कि स्वयं रावण, जो भगवान शिव के अनन्य भक्त थे, कुछ विशेष परिस्थितियों या काल में दही का सेवन वर्जित मानते थे, और संभवतः इसी नियम के उल्लंघन या इससे जुड़ी किसी अशुभ घटना के कारण उनका अंत हुआ।

दही के शुभ संकेत:

पूजा-पाठ में: किसी भी शुभ कार्य या देवी-देवताओं की आराधना में दही का उपयोग अत्यंत मंगलकारी माना जाता है। यह न केवल कार्यों की सफलता सुनिश्चित करता है, बल्कि ईश्वरीय कृपा को भी आकर्षित करता है।

अतिथि सत्कार: घर आए मेहमानों को दही खिलाना या देना, सौहार्द और शुभता का प्रतीक है, जो आपसी रिश्तों में मधुरता लाता है।

माथे पर दही का लेप: माथे पर दही का टीका लगाना या लेप करना सौभाग्य को बढ़ावा देता है और मन को शांति प्रदान करता है।

दूसरों को दही खिलाना: इस प्रथा के द्वारा दूसरों के जीवन से नकारात्मकता और उत्पन्न होने वाले मतभेदों को दूर करने का विधान है।

शुभ कार्य से पूर्व सेवन: किसी भी महत्वपूर्ण या नए कार्य को आरंभ करने से पहले दही और शक्कर का सेवन करना, कार्यसिद्धि के लिए एक उत्तम उपाय माना जाता है।

दही से जुड़े अशुभ संकेत:

मंगलवार को सेवन: सामान्यतः मंगलवार को दही खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह दिन मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। माना जाता है कि मंगलवार को दही खाने से व्यक्ति का क्रोध बढ़ सकता है और कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं, हालांकि कुछ क्षेत्रीय परंपराओं में विशेष परिस्थितियों में इसका सेवन स्वीकार्य है।


दही का खराब होना: यदि घर पर दही अचानक से खराब हो जाए या उसे फेंकने की नौबत आए, तो इसे धन की हानि या घर में कलह का सूचक समझा जा सकता है।

विशेष समय में वर्जित: प्राचीन कथाओं, जैसे कि रावण से संबंधित उल्लेखों में, यह प्रतीत होता है कि कुछ विशेष कालखंडों या ग्रहदशाओं के दौरान कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित हो जाता है। ऐसे में, इन नियमों का पालन न करना अशुभ फल दे सकता है।

यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि विशेष अनुष्ठानों या व्रत के दौरान दही के सेवन के संबंध में धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं में अपने विशेष नियम और सावधानियां हो सकती हैं, जिनका पालन करना उचित है।

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