इस रूट पर वंदे भारत का सपना टूटा, रेल मंत्री ने खुद बताई असली वजह

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वंदे भारत एक्सप्रेस... जब भी यह ट्रेन किसी नए रूट पर चलना शुरू होती है, तो लोगों में एक अलग ही ख़ुशी और उत्साह होता है. रफ़्तार, आराम और एक नए ज़माने के सफ़र का एहसास, हर कोई चाहता है कि यह ट्रेन उनके शहर से भी गुज़रे. पंजाब के कई लोग भी ऐसा ही एक सपना देख रहे थे, लेकिन अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ख़ुद इस सपने पर 'ब्रेक' लगा दिया है.

सरकार ने स्पष्ट किया है कि अमृतसर-दिल्ली-फ़िरोज़पुर रूट पर वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।

यह खबर उन हज़ारों यात्रियों के लिए किसी झटके से कम नहीं है जो उम्मीद कर रहे थे कि जल्द ही उन्हें भी इस प्रीमियम ट्रेन की सौगात मिलेगी। लेकिन सवाल यह है कि जब हर जगह नई वंदे भारत ट्रेनें चलाई जा रही हैं, तो इस महत्वपूर्ण रूट की अनदेखी क्यों की जा रही है?

सिर्फ़ पटरियां नहीं, यात्री भी चाहिए

इस सवाल का जवाब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में दिया. उनसे आम आदमी पार्टी के सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने पूछा था कि अमृतसर और फ़िरोज़पुर के लोगों को वंदे भारत कब मिलेगी. इसके जवाब में मंत्री ने जो कारण बताया, वह काफ़ी सीधा और स्पष्ट था.

उन्होंने कहा कि इस रूट पर वंदे भारत ट्रेन को चलाना फ़ायदे का सौदा नहीं है, क्योंकि इस पर उम्मीद के मुताबिक़ यात्री ही नहीं मिलेंगे. आसान भाषा में कहें तो, इस रूट पर वंदे भारत को चलाने के लिए जितने यात्री चाहिए, उतने यात्री सफ़र करने के लिए तैयार नहीं हैं.

रेलवे के मुताबिक़, वंदे भारत एक प्रीमियम ट्रेन है. इसे चलाने और इसके रख-रखाव में काफ़ी ख़र्च आता है. अगर ट्रेन को भरने के लिए पर्याप्त संख्या में यात्री ही नहीं होंगे, तो यह रेलवे के लिए एक बड़ा घाटा साबित होगा. किसी भी रूट पर ट्रेन चलाने से पहले रेलवे यह सर्वे ज़रूर करता है कि उस पर कितने लोग सफ़र करने को तैयार हैं. शायद इसी सर्वे में अमृतसर-फिरोजपुर रूट वंदे भारत के मानकों पर खरा नहीं उतर पाया.

यह फ़ैसला दिखाता है कि रेलवे सिर्फ़ तेज़ रफ़्तार वाली ट्रेनें चलाने पर ही नहीं, बल्कि यह भी देख रहा है कि वे आर्थिक रूप से कितनी सफल हो सकती हैं. फ़िलहाल, इस रूट के लोगों को अपनी पसंदीदा ट्रेन के लिए अभी और इंतज़ार करना होगा.

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