Uttar Pradesh : संत कबीर नगर में दलित युवक की संदिग्ध मौत पर बवाल परिजन बोले पुलिस की मारपीट से गई जान
News India Live, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले से एक बेहद गंभीर और सनसनीखेज खबर सामने आई है, जहाँ एक दलित युवक की कथित तौर पर पुलिस हिरासत में हुई 'संदिग्ध' मौत ने हड़कंप मचा दिया है। परिवार का आरोप है कि पुलिस की बर्बरता के कारण उनकी जान गई, जबकि पुलिस इन दावों को सिरे से खारिज कर रही है और इसे स्वाभाविक मौत बता रही है।
मृतक की पहचान सुरेंद्र पासवान उर्फ नंदा के रूप में हुई है, जिसके खिलाफ एक पुराने मामले में वारंट जारी था। परिवार के सदस्यों का आरोप है कि शनिवार-रविवार की दरमियानी रात करीब 2 बजे बखिरा थाना पुलिस उसके घर आई और उसे जबरन उठा ले गई। परिजनों का दावा है कि पुलिस ने सुरेंद्र के साथ बेरहमी से मारपीट की, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। सुबह जब उन्हें पता चला तो सुरेंद्र की अस्पताल में मौत हो चुकी थी। उनका स्पष्ट आरोप है कि पुलिस की पिटाई से ही उनकी जान गई है और उन्होंने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
हालांकि, पुलिस इन आरोपों से इनकार कर रही है। बखिरा थानाध्यक्ष के अनुसार, पुलिस टीम रात में वारंटी सुरेंद्र पासवान को पकड़ने गई थी। जब पुलिस उसे लेकर आ रही थी, तो वह रास्ते में नशे में होने के कारण बीमार पड़ गया और उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। उसे तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खलीलाबाद ले जाया गया, जहाँ उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। कुछ अधिकारियों का यह भी कहना है कि उसे दौरा पड़ा था या वह अचेत हो गया था। पुलिस इस बात पर जोर दे रही है कि उन्हें वारंटी पर कोई चोट नहीं दिख रही थी और उसकी मृत्यु बीमारी के कारण हुई।
दलित युवक की मौत की खबर फैलते ही इलाके में तनाव का माहौल बन गया। बड़ी संख्या में परिजन और ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहर जमा हो गए और न्याय की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस संवेदनशील मामले में राजनीति भी गरमा गई है, कई राजनीतिक दल और दलित नेता इस घटना की निंदा कर रहे हैं। सूचना मिलने पर पुलिस अधीक्षक (SSP) और क्षेत्राधिकारी समेत अन्य पुलिस अधिकारी मौके पर पहुँचे और परिवार को शांत करने का प्रयास किया। पुलिस अधीक्षक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और आश्वस्त किया है कि विस्तृत जांच कराई जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जाँच में यदि किसी भी पुलिसकर्मी की लापरवाही सामने आती है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खलीलाबाद के चिकित्सा अधिकारी (CMO) ने पुष्टि की है कि युवक को अचेत अवस्था में अस्पताल लाया गया था और उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हुई। फिलहाल, सच क्या है यह तो पुलिस जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही स्पष्ट हो पाएगा, लेकिन इस घटना ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था और पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। दलित संगठनों और राजनीतिक नेताओं ने इस मामले में न्याय और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
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