US China Relations : 100% टैरिफ का झटका: ट्रंप ने चीन पर चला सबसे बड़ा दांव, आपके पैसों पर क्या होगा असर?

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News India Live, Digital Desk:  US China Relations : अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी जंग हमेशा सुर्खियों में रही है, और ऐसा लगता है कि यह तनाव अक्सर बढ़ता ही रहा है. पिछले दिनों, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 100% का नया टैरिफ लगाने का ऐलान किया. इसका सीधा मतलब यह था कि चीन से आने वाले सामान, जिनकी पहले से ही अमेरिका में काफी मांग रहती है, उनकी कीमतें अब सीधे दोगुनी हो जाएंगी. यह उन शुल्कों के अलावा था जो पहले से लगे हुए थे, यानी सामान और भी महंगा होने वाला था

सिर्फ इतना ही नहीं, ट्रंप प्रशासन ने अहम सॉफ्टवेयर के निर्यात पर भी कड़े नियंत्रण लगाने की घोषणा की. इस फैसले का मकसद चीन को कुछ खास तकनीकों तक पहुंचने से रोकना था, खासकर वो तकनीकें जो उनके उद्योगों और रक्षा क्षेत्र के लिए बेहद जरूरी मानी जाती हैं.

असल में, अमेरिका का यह कड़ा कदम चीन की तरफ से "रेयर अर्थ" धातुओं के निर्यात पर प्रतिबंध बढ़ाने के जवाब में उठाया गया था. "रेयर अर्थ" ऐसी धातुएं हैं जो स्मार्टफोन से लेकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों और यहाँ तक कि सैन्य उपकरणों जैसे कई आधुनिक उत्पादों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती हैं. चीन इन धातुओं का एक बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. अमेरिका का मानना था कि चीन की यह "असामान्य और आक्रामक" व्यापार नीति वैश्विक बाजार को अस्थिर कर रही है, और इसी के चलते अमेरिका को और सख्त कदम उठाने पड़े.

जानकारों की मानें तो इन टैरिफ का असर अमेरिका और पूरी दुनिया पर पड़ा. अमेरिका में आम उपभोक्ताओं के लिए इलेक्ट्रॉनिक सामान, फर्नीचर, कपड़े और खिलौने जैसे कई उत्पाद महंगे हो गए, क्योंकि चीनी सामानों की लागत बढ़ गई. इससे अमेरिका और चीन के बीच सप्लाई चेन भी गड़बड़ाने का खतरा पैदा हुआ, जिससे दुनियाभर के बाजारों में चिंता बढ़ गई.

कई आर्थिक विशेषज्ञों का मानना था कि ट्रंप का यह फैसला सिर्फ कारोबारी नहीं, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति भी थी. वे "अमेरिका फर्स्ट" की अपनी नीति के तहत घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना चाहते थे और चीन पर अमेरिकी निर्भरता कम करना चाहते थे. हालांकि, ऐसी चेतावनी भी दी गई थी कि अगर चीन पलटवार में अमेरिकी उत्पादों पर और प्रतिबंध लगाता है, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है. इन घटनाओं के बीच, दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की मुलाकात पर भी संदेह पैदा हो गया था, जो बताता है कि तनाव कितना बढ़ गया था

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