UP Politics : लखनऊ से नहीं, अब आपकी गली से बनेगा सपा का वचन पत्र ,अखिलेश ने बदला 2027 का पूरा गेम

Post

News India Live, Digital Desk: 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मिली शानदार सफलता के बाद समाजवादी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। अब पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपना पूरा ध्यान 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर लगा दिया है। इस बार सपा पुराने ढर्रे पर नहीं, बल्कि एक बिल्कुल नई और ज़मीनी रणनीति के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है, जिसकी पहली झलक दिखनी शुरू हो गई है।

एक राज्य, एक घोषणा पत्र का फॉर्मूला अब ख़त्म!

समाजवादी पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति में एक बहुत बड़ा और अहम बदलाव किया है। अब तक होता यह था कि पार्टी लखनऊ में बैठकर पूरे प्रदेश के लिए एक ही घोषणा पत्र (Manifesto) तैयार करती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

अखिलेश यादव ने तय किया ਹੈ ਕਿ अब पार्टी हर जिले और हर इलाके की समस्याओं को समझते हुए वहां के लिए अलग-अलग घोषणा पत्र बनाएगी। इसका सीधा सा मतलब यह ਹੈ ਕਿ जो वादे मथुरा के लोगों से किए जाएंगे, वो वहां की ज़रूरतों के हिसाब से होंगे, और जो वादे आगरा या हाथरस के लोगों से किए जाएंगे, वो वहां की परेशानियों को देखकर तय किए जाएंगे।

शुरुआत आगरा मंडल से, क्या है प्लान?

इस नई रणनीति की शुरुआत आगरा मंडल के तीन प्रमुख जिलों - मथुरा, आगरा और हाथरस से की जा रही हैं ।

पार्टी ने अपने स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को साफ हिदायत दी है कि वे अब लखनऊ के इशारे का इंतज़ार न करें। उन्हें कहा गया है कि वो गांव-गांव, गली-गली जाकर लोगों से मिलें, उनके मुद्दे सुनें और उनकी उम्मीदों को समझें।

  • आगरा में आलू किसानों की क्या परेशानियां हैं?
  • मथुरा में तीर्थयात्रियों और स्थानीय व्यापारियों को किन मुश्किलों का सामना है?
  • हाथरस के किसानों और मजदूरों की क्या मांगें हैं?

इन्हीं सब सवालों के जवाब ढूंढकर हर जिले का अपना एक 'स्थानीय वचन पत्र' तैयार किया जाएगा।

क्यों उठाया यह बड़ा क़दम?

इस रणनीति के पीछे अखिलेश यादव की एक गहरी सोच है। वह जानते हैं कि लखनऊ में बैठकर किए गए वादे कई बार ज़मीन पर लोगों से जुड़ नहीं पाते। हर जिले की अपनी अलग पहचान, अपनी अलग समस्याएं और अपनी अलग ज़रूरतें होती हैं।

यह कदम सीधे तौर पर जनता से जुड़ने की एक कोशिश है। जब लोगों को यह महसूस होगा कि पार्टी सिर्फ बड़े-बड़े हवाई वादे नहीं कर रही, बल्कि उनके गली-मोहल्ले की समस्याओं को समझकर उन्हें दूर करने का प्लान बना रही हैं, तो उनका भरोसा जीतना आसान होगा।

समाजवादी पार्टी का यह दांव अगर सफल रहा, तो यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में चुनाव लड़ने का एक नया ट्रेंड सेट कर सकता हैं। यह एक संकेत है कि 2027 का चुनाव सिर्फ भाषणों और रैलियों पर नहीं, बल्कि असली और ज़मीनी मुद्दों पर लड़ा जाएगा।

--Advertisement--