UP Courts : क्या आपका समाज भी जाति के बंधन में है? अब न्याय होगा जाति-मुक्त, हाईकोर्ट के इस आदेश ने बदली तस्वीर
News India Live, Digital Desk: UP Courts : यहां उत्तर प्रदेश से एक ऐसी ख़बर आई है, जिसने न्याय के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर गाड़ दिया है! इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बहुत ही ऐतिहासिक और बेहद अहम फ़ैसला सुनाया है. अब से कोर्ट की प्रक्रिया में आरोपियों, शिकायतकर्ताओं (informants) और गवाहों से जुड़े कॉलम से जाति का विवरण हटा दिया जाएगा. जी हां, आपने ठीक सुना, अब न्याय के आंगन में किसी की पहचान उसकी जाति से नहीं होगी!
ये बात अपने आप में बहुत बड़ी है, क्योंकि हमारा समाज आज भी कई जगहों पर जाति के बंधन में फंसा हुआ है. ऐसे में अगर कोर्ट जैसी महत्वपूर्ण जगह पर भी जाति का ज़िक्र होता था, तो यह कहीं न कहीं सामाजिक असमानता की एक झलक दिखाता था. हाईकोर्ट का यह आदेश दिखाता है कि न्याय सभी के लिए समान है और उसमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए, चाहे वह जाति के आधार पर ही क्यों न हो.
इस फ़ैसले के बाद पुलिस, अदालत और जांच एजेंसियां जब भी किसी आरोपी, शिकायतकर्ता या गवाह से संबंधित दस्तावेज़ बनाएंगी, तो उनमें अब जाति का कॉलम भरना अनिवार्य नहीं होगा. इसका सीधा मतलब यह है कि न्याय की प्रक्रिया को अब जातिगत पहचान से ऊपर उठकर देखा जाएगा, जो एक स्वस्थ समाज के लिए बहुत ज़रूरी है. यह बदलाव कानूनी प्रणाली को और भी ज़्यादा निष्पक्ष और समावेशी बनाएगा.
न्यायपालिका का यह क़दम वाकई क़ाबिले तारीफ़ है, क्योंकि यह समाज को जाति-विहीन व्यवस्था की तरफ़ बढ़ने का संदेश देता है. यह एक संकेत है कि हमें अब अपनी पुरानी धारणाओं को छोड़कर एक नए और प्रगतिशील भारत की कल्पना करनी होगी, जहां हर नागरिक को सिर्फ़ एक इंसान के रूप में देखा जाए, न कि उसकी जाति से उसकी पहचान की जाए. उम्मीद है कि यह फ़ैसला न्याय के नए रास्ते खोलेगा और समाज में समता का भाव पैदा करेगा.
--Advertisement--