UGC NET June 2025: पिछले रुझान और मार्किंग स्कीम के साथ जानें नतीजों का समीकरण
News India Live, Digital Desk: UGC NET June 2025: राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) भारत में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर या जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन करने हेतु एक महत्वपूर्ण मानक है। यूजीसी-नेट जून 2025 परीक्षा अब संपन्न हो चुकी है और उम्मीदवार उत्सुकता से अपने परिणामों का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि नतीजे अभी घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन पिछले सालों के रुझानों और परीक्षा की मार्किंग स्कीम को समझना, अपेक्षित कट-ऑफ और परिणामों की प्रकृति को समझने में मददगार हो सकता है।
पिछले वर्षों के परिणाम के रुझान:
यूजीसी-नेट की परीक्षा में क्वालिफाई करने वाले उम्मीदवारों का प्रतिशत हमेशा से 6% पर स्थिर रहा है, यानी, कुल उपस्थित उम्मीदवारों में से केवल 6 प्रतिशत को ही NET क्वालिफाइड घोषित किया जाता है। इनमें से, कुल योग्य उम्मीदवारों में से लगभग 1% (या 1.5% - 2%) को JRF के लिए भी क्वालिफाई माना जाता है। JRF के लिए कट-ऑफ, असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए निर्धारित कट-ऑफ से थोड़ा अधिक रहता है, क्योंकि JRF के लिए उम्मीदवारों की संख्या बहुत कम चुनी जाती है।
यह समझना ज़रूरी है कि क्वालिफाइंग प्रतिशत सभी विषयों के लिए संयुक्त होता है। यानी, सभी विषयों के टॉप 6% उम्मीदवारों को पात्रता मिलती है। कट-ऑफ हमेशा उच्चतम स्कोर करने वाले छात्रों के आधार पर तय की जाती है, जिसका अर्थ है कि कठिन विषयों में भी उच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र योग्य माने जाते हैं।
मार्किंग स्कीम और प्रश्न पत्र:
यूजीसी-नेट में कुल 150 प्रश्न होते हैं, जिनमें से हर एक प्रश्न 2 अंक का होता है, यानी कुल 300 अंकों की परीक्षा होती है। परीक्षा में किसी भी तरह की कोई निगेटिव मार्किंग नहीं होती, जो उम्मीदवारों को सभी प्रश्नों का प्रयास करने का मौका देती है। दो प्रश्न पत्र होते हैं:
परिणाम को प्रभावित करने वाले कारक:
परिणाम पर कई कारक प्रभाव डालते हैं, जैसे परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की संख्या, परीक्षा का कठिनाई स्तर, और प्रत्येक विषय में आवेदकों की संख्या। चूंकि परीक्षा में कोई निगेटिव मार्किंग नहीं है, इसलिए कट-ऑफ थोड़ी ऊपर जा सकती है। उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे धैर्य बनाए रखें और केवल आधिकारिक स्रोतों से मिली जानकारी पर भरोसा करें। पिछले साल के रुझानों के आधार पर वे अपनी संभावित स्थिति का एक अनुमान लगा सकते हैं।
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