Trade Balance : रूसी तेल खरीदने पर भारत पर क्यों कस रही है गाज, जबकि अमेरिका का अपना दोस्त ही कर रहा सबसे ज्यादा इंपोर्ट?
News India Live, Digital Desk: Trade Balance : एक नई रिपोर्ट ने सबको हैरत में डाल दिया है! रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से लगातार अमेरिका, भारत जैसे देशों पर रूस से तेल न खरीदने का दबाव डाल रहा है, और डोनाल्ड ट्रंप ने तो टैरिफ लगाने तक की धमकी दी थी. ऐसे में ये बात सामने आई है कि रूस के कच्चे तेल से बनने वाले एक अहम उत्पाद, 'नेफ्था', का सबसे बड़ा आयातक अब भारत या चीन नहीं, बल्कि अमेरिका का खास सहयोगी देश ताइवान बन गया है.
जी हां, सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले नेफ्था जैसे पेट्रोलियम उत्पादों का सबसे ज़्यादा आयात ताइवान कर रहा है. पहले इस मामले में भारत सबसे ऊपर था, लेकिन अब ताइवान ने उसे पीछे छोड़ दिया है. 2025 की पहली छमाही में ताइवान ने रूस से लगभग 1.3 अरब डॉलर मूल्य का नेफ्था आयात किया है. रिपोर्ट बताती है कि 2022 के मुकाबले, ताइवान का हर महीने का रूसी कच्चे तेल उत्पाद आयात करीब छह गुना बढ़ गया है, और 2024 की पहली छमाही की तुलना में इसमें 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. ताइवान को यह सस्ता ईंधन अपनी बढ़ती सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के लिए चाहिए.
भारत की बात करें, तो उसने भी 2025 की पहली छमाही में 1.4 मिलियन टन से ज़्यादा रूसी समुद्री नेफ्था आयात किया है. रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका पहले ही भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगा चुका है, जिससे भारत पर कुल अमेरिकी टैरिफ 50% तक पहुँच गया है. ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि ये कदम भारत पर दबाव बनाने के लिए हैं ताकि वह रूसी ऊर्जा आयात बंद करे और यूक्रेन में युद्ध खत्म करने में मदद करे. अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम ने तो यहाँ तक चेतावनी दी थी कि अगर भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश सस्ता रूसी तेल खरीदते रहे तो अमेरिका उनकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगा. एक प्रस्तावित बिल में तो 500% तक के टैरिफ लगाने की बात भी कही गई है.
अब ये सवाल उठना लाज़मी है कि क्या पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो अब फिर से राष्ट्रपति पद की दौड़ में हैं, अपने इस खास दोस्त ताइवान के खिलाफ भी ऐसे ही कड़े कदम उठाएंगे? ट्रंप पहले भी कह चुके हैं कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों को अमेरिका में अपना माल भेजने पर ज़्यादा टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि जब अमेरिका का अपना सहयोगी ही रूस के सबसे बड़े खरीदारों में शामिल हो जाए, तब उनकी टैरिफ नीति क्या मोड़ लेती है. नेफ्था एक पेट्रोलियम उत्पाद है जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक, सिंथेटिक फाइबर और अन्य रसायनों के निर्माण में होता है, साथ ही यह सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए भी महत्वपूर्ण है.
इस बीच, अमेरिका ने भारत से रूस की बजाय अमेरिका या दूसरे स्रोतों से तेल खरीदने का आग्रह भी किया है. कुछ खबरों के मुताबिक, भारत ने अमेरिका से यह भी कहा है कि अगर वह रूसी तेल की खरीद कम करना चाहता है, तो उसे ईरान और वेनेजुएला पर लगे प्रतिबंध हटाने होंगे ताकि भारत वहां से तेल खरीद सके. अमेरिकी ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट ने स्पष्ट कहा है कि वे भारत को दंडित नहीं करना चाहते बल्कि उससे ऊर्जा सहयोग बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन भारत को रूसी तेल खरीदना बंद कर देना चाहिए.
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