तानाशाह ने जिस महिला को चुनाव लड़ने से रोका, आज दुनिया ने उसे 'शांति का सबसे बड़ा पुरस्कार' देकर किया सलाम!

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शांति के लिए दिए जाने वाले दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान, नोबेल शांति पुरस्कार 2025, की घोषणा हो चुकी है। इस साल यह पुरस्कार किसी बड़े देश के राष्ट्राध्यक्ष को नहीं, बल्कि वेनेजुएला की एक ऐसी निडर महिला को दिया गया है, जो सालों से अपने देश में तानाशाही के खिलाफ लोकतंत्र की लौ जलाए हुए है। इनका नाम है मारिया कोरिना मशाडो (Maria Corina Machado)

यह सिर्फ एक अवॉर्ड नहीं, बल्कि उस महिला के संघर्ष को मिला एक वैश्विक सम्मान है, जिसे उसके अपने ही देश की सरकार ने चुनाव लड़ने से रोक दिया था।

कौन हैं मारिया कोरिना मशाडो?

मारिया कोरिना मशाडो वेनेजुएला की एक प्रमुख विपक्षी नेता हैं। वह उस देश में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की सबसे बुलंद आवाजों में से एक मानी जाती हैं, जहां राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की तानाशाही सरकार का शासन है। सालों से, मारिया बिना डरे, शांतिपूर्ण तरीके से अपनी सरकार की गलत नीतियों का विरोध कर रही हैं और एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मांग कर रही हैं।

क्यों मिला उन्हें यह सम्मान?

नोबेल समिति ने उन्हें यह पुरस्कार तानाशाही के खिलाफ उनके अथक और शांतिपूर्ण संघर्ष के लिए दिया है। मारिया कोरिना मशाडो के सामने कई चुनौतियां आईं:

  • सरकार ने उन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए, यहां तक कि उन्हें 15 सालों के लिए किसी भी सार्वजनिक पद पर रहने से प्रतिबंधित कर दिया गया।
  • उन्हें और उनके समर्थकों को लगातार धमकियां मिलती रहीं।
  • इसके बावजूद, उन्होंने कभी हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया और हमेशा बातचीत और शांतिपूर्ण विरोध का समर्थन किया।

नोबेल समिति ने कहा कि मारिया मशाडो दिखाती हैं कि कैसे एक व्यक्ति शांतिपूर्ण तरीके से लोकतंत्र के लिए लड़ सकता है, भले ही सामने कितनी भी बड़ी ताकत क्यों न हो।

यह पुरस्कार सिर्फ मारिया मशाडो की व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि यह वेनेजुएला के उन लाखों लोगों की जीत है जो एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश का सपना देखते हैं। यह पूरी दुनिया को एक संदेश है कि शांतिपूर्ण संघर्ष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता।

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