आज सोए हुए भगवान विष्णु बदलेंगे करवट, खुल जाएंगे भाग्य के दरवाजे! जानें पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त
आज, 3 सितंबर 2025, का दिन हिंदू धर्म में बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण माना जा रहा है. आज परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है. यह कोई साधारण एकादशी नहीं है, क्योंकि मान्यता है कि आज की रात, चातुर्मास की अपनी चार महीने की गहरी योग निद्रा के दौरान, भगवान श्री हरि विष्णु अपनी करवट बदलते हैं.
इसी दिव्य घटना के कारण इसे 'परिवर्तिनी' एकादशी कहा जाता ਹੈ. कहते हैं कि इस एक दिन सच्चे मन से व्रत और पूजा करने से वाजपेय और अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है और इंसान के सारे पाप धुल जाते हैं.
क्यों इतनी ख़ास है यह एकादशी?
इस एकादशी को पद्मा एकादशी, वामन एकादशी और जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। चूँकि इस दिन भगवान विष्णु निद्रा में करवट बदलते हैं, इसलिए मान्यता है कि वे अपने भक्तों की पुकार बहुत जल्दी सुनते हैं और उनकी अधूरी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त और पारण का समय
- एकादशी तिथि: 3 सितंबर 2025, बुधवार को सूर्योदय के साथ.
- एकादशी तिथि का समापन: 3 सितंबर की सुबह ही हो जाएगा, लेकिन उदयातिथि के नियम के अनुसार, व्रत पूरे दिन बुधवार को ही रखा जाएगा.
- व्रत पारण (खोलने का समय): व्रत का पारण अगले दिन, यानी 4 सितंबर 2025, गुरुवार की सुबह 06:01 AM से 08:31 AM के बीच करना सबसे शुभ रहेगा.
कैसे करें आज के दिन पूजा?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ, पीले वस्त्र धारण करें.
- घर के मंदिर में दीपक जलाएं और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें.
- भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें.
- उन्हें पीले फूल, पीला चंदन, फल (विशेषकर केला), और मिठाई अर्पित करें. पूजा में तुलसी का पत्ता ज़रूर शामिल करें, क्योंकि तुलसी विष्णु जी को अत्यंत प्रिय है.
- इसके बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या परिवर्तिनी एकादशी की व्रत कथा सुनें.
- अंत में घी के दीपक से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें.
- दिन भर अन्न का त्याग करें और शाम को फलाहार कर सकते हैं. रात में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करना बहुत शुभ माना जाता है
याद रखें, व्रत के दिन किसी के प्रति मन में बुरा भाव न लाएं और सात्विक आचरण करें. सच्ची श्रद्धा से किया गया यह व्रत आपके जीवन में एक सकारात्मक 'परिवर्तन' ला सकता है.
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