इंग्लैंड का वो योद्धा, जिसे पता था वो खत्म हो चुका है, फिर भी उसने दुश्मन को घुटनों पर ला दिया

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News India Live, Digital Desk : क्रिकेट के मैदान पर हमने कई महान पारियां देखी हैं। लेकिन कुछ पारियां ऐसी होती हैं, जो सिर्फ रनों के लिए नहीं, बल्कि उस पारी के पीछे की कहानी, हिम्मत और ज़िद के लिए हमेशा याद की जाती हैं। इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान बेन स्टोक्स (Ben Stokes) की गिनती ऐसे ही 'योद्धा' खिलाड़ियों में होती है, जो हार के जबड़े से जीत छीनना जानते हैं।

लेकिन स्टोक्स सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक 'पहेली' हैं। वह मैदान पर कब, क्या कर जाएं, कोई नहीं जानता। उनकी इसी अविश्वसनीय मानसिक मजबूती (Mental Fortitude) से जुड़ा एक ऐसा किस्सा उनके साथी खिलाड़ी क्रिस वोक्स (Chris Woakes) ने सुनाया है, जिसे सुनकर आप भी इस खिलाड़ी को सलाम करेंगे।

जब दर्द से कराह रहे थे स्टोक्स...

क्रिस वोक्स ने एक हाई-प्रेशर मैच के उस पल को याद किया, जब बेन स्टोक्स क्रीज पर थे और इंग्लैंड की टीम को जीत के लिए उनकी सख्त जरूरत थी। लेकिन स्टोक्स का शरीर उनका साथ नहीं दे रहा था। वह दर्द से बुरी तरह कराह रहे थे। दौड़ना তো दूर, उनके लिए ठीक से खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था। हर कोई देख सकता था कि स्टोक्स अपनी शारीरिक क्षमता की आखिरी हद पर हैं।

"वो जानता था कि वो खत्म हो चुका है..."

जब क्रिस वोक्स दूसरे छोर पर उनके पास पहुंचे, तो उन्होंने स्टोक्स से उनकी हालत के बारे में पूछा। इस पर स्टोक्स ने जो जवाब दिया, वो उनकी 'पागलपन' की हद वाली ज़िद को दिखाता है।

क्रिस वोक्स ने खुलासा किया, "मैं उसके पास गया और मैंने उससे पूछा कि वह ठीक है या नहीं। वह दर्द में था। उसने मुझे देखा और बस इतना कहा - 'मैं खत्म हो चुका हूं' (He knew he was fed)। उसे पता था कि उसका शरीर पूरी तरह से जवाब दे चुका है। लेकिन उसके चेहरे पर एक अजीब सी शांति थी, एक दृढ़ संकल्प था।"*

वोक्स ने आगे बताया, "उसके यह कहने के बावजूद, मुझे एक पल के लिए भी ऐसा नहीं लगा कि वह हार मान लेगा या अपना विकेट फेंक देगा। उसके दिमाग में बस एक ही चीज चल रही थी - 'मैं यहां से हिलने वाला नहीं हूं, चाहे कुछ भी हो जाए'।"

यह ज़िद नहीं, 'स्टोक्स-पंती' है!

यह छोटी सी बातचीत बेन स्टोक्स के चरित्र को पूरी तरह से बयां कर देती है। वह एक ऐसा खिलाड़ी है जिसके लिए शारीरिक दर्द मानसिक इरादों के सामने कोई मायने नहीं रखता। जब वह ठान लेते हैं कि उन्हें अपनी टीम को जिताना है, तो फिर कोई भी दर्द, कोई भी दबाव उन्हें रोक नहीं सकता।

यह किस्सा बताता है कि क्यों बेन स्टोक्स को सिर्फ एक महान ऑलराउंडर ही नहीं, बल्कि क्रिकेट इतिहास के सबसे मजबूत और जुझारू किरदारों में से
एक माना जाता है। वह हारना नहीं जानते, और यही चीज उन्हें 'हीरो' बनाती है।

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