प्रोस्टेट कैंसर का खतरा इन 5 गलत आदतों से बढ़ सकता है, पुरुषों को रहें सावधान
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला एक आम प्रकार का कैंसर है. जहाँ दुनिया भर में लाखों पुरुष इससे प्रभावित होते हैं, वहीं भारत में भी इसके मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. अच्छी बात यह है कि यदि इस कैंसर का समय पर पता चल जाए, तो इसका इलाज काफी प्रभावी हो सकता है. लेकिन, यह जानना भी बहुत ज़रूरी है कि हमारी रोज़मर्रा की कुछ आदतें अनजाने में ही प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं.
पुरुषों को इन आदतों से बचने और अपने प्रोस्टेट स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए जागरूक होना चाहिए. आज हम ऐसी 5 आम आदतें जानेंगे जो अनजाने में प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं.
1. लाल मांस और प्रोसेस्ड फ़ूड का अत्यधिक सेवन
क्या आपको हर दूसरे दिन बर्गर, सॉसेज, या बीफ जैसे लाल मांस के पकवान खाने की आदत है? या आप अक्सर रेडी-टू-ईट (ready-to-eat) पैक्ड फूड का सहारा लेते हैं? अगर हाँ, तो आपको सावधान रहने की ज़रूरत है.
- क्या है खतरा:अध्ययनों से पता चला है कि ज़्यादा मात्रा में लाल मांस (जैसे मटन, बीफ) और खासकर प्रोसेस्ड मांस (जैसे पैक्ड मीट, सॉसेज, बेकन, हॉट डॉग) का सेवन प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है. इन मांसों को ज़्यादा तापमान पर पकाने या तलने से हानिकारक यौगिक (HCAs and PAHs) बन सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं. प्रोसेस्ड फ़ूड में पाए जाने वाले प्रिज़र्वेटिव्स (preservatives) और केमिकल भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं.
- क्या करें:अपने आहार में ताज़े फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन (जैसे मछली, चिकन, दालें) शामिल करें. मांस का सेवन कम करें और यदि करते भी हैं, तो उसे उबालकर या धीमी आँच पर पकाएं.
2. कम शारीरिक गतिविधि और जंक फ़ूड पर निर्भरता
आज की जीवनशैली में डेस्क जॉब (desk job) और भागदौड़ भरी ज़िंदगी में अक्सर लोगों के पास कसरत के लिए समय नहीं होता. लोग जल्दीबाजी में कुछ भी खा लेते हैं, जिसमें पौष्टिक तत्वों की कमी और कैलोरीज़ की अधिकता होती है.
- क्या है खतरा:ज़्यादा देर तक बैठे रहना और व्यायाम न करना शरीर के वज़न को बढ़ा सकता है. मोटापा (obesity) कई तरह के कैंसर, जिसमें प्रोस्टेट कैंसर भी शामिल है, के जोखिम को बढ़ाता है. मोटापे से शरीर में सूजन (inflammation) बढ़ती है और हार्मोनल संतुलन बिगड़ सकता है, जो कैंसर के विकास को बढ़ावा दे सकता है.
- क्या करें:कोशिश करें कि दिन में कम से कम 30 मिनट शारीरिक गतिविधि ज़रूर करें. इसमें तेज़ चलना, जॉगिंग, साइकिल चलाना या कोई खेल खेलना शामिल हो सकता है. अपने खान-पान पर भी ध्यान दें और जंक फ़ूड, तला-भुना और मीठा कम खाएं.
3. धूम्रपान और तंबाकू का सेवन
धूम्रपान सिर्फ फेफड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर के लिए एक गंभीर खतरा है. प्रोस्टेट कैंसर सहित कई अन्य गंभीर बीमारियों का यह एक प्रमुख कारण है.
- क्या है खतरा:तंबाकू में निकोटीन (nicotine) और हज़ारों हानिकारक केमिकल होते हैं जो हमारे डीएनए (DNA) को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कोशिकाओं को कैंसरस बना सकते हैं. सिगरेट, बीड़ी, खैनी, गुटखा - ये सभी प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं, खासकर जब कैंसर हो भी जाए, तो धूम्रपान से उसके बढ़ने (aggression) और वापस आने (recurrence) का खतरा बढ़ जाता है.
- क्या करें:अगर आप धूम्रपान या तंबाकू का सेवन करते हैं, तो इसे आज ही छोड़ दें. यह आपके प्रोस्टेट स्वास्थ्य के साथ-साथ पूरे स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा सकारात्मक कदम होगा.
4. अत्यधिक शराब का सेवन
कुछ लोग रोज़ाना या पार्टीज़ में ज़रूरत से ज़्यादा शराब पीते हैं. शराब का अत्यधिक सेवन सेहत के लिए हमेशा ही नुकसानदायक रहा है.
- क्या है खतरा:ज़्यादा शराब पीने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन (testosterone) का स्तर बदल सकता है, जो प्रोस्टेट के विकास और कार्य के लिए महत्वपूर्ण है. यह लीवरको भी नुकसान पहुंचाता है और शरीर में सूजन (inflammation) बढ़ा सकता है. कई शोध बताते हैं कि ज़्यादा शराब पीने वाले पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है.
- क्या करें:शराब का सेवन सीमित मात्रा में करें या बिल्कुल न करें. 'मॉडरेशन' (moderation) ही कुंजी है. पुरुषों के लिए प्रति दिन एक से अधिक ड्रिंक (about 14 grams of alcohol) की सलाह नहीं दी जाती है.
5. प्रोस्टेट की जांच न कराना और लक्षणों को नज़रअंदाज करना
कई बार पुरुष प्रोस्टेट से संबंधित किसी भी तरह की शारीरिक समस्या या लक्षणों को नज़रअंदाज कर देते हैं. वे इसे बढ़ती उम्र का सामान्य असर मान लेते हैं या फिर शर्मिंदगी के कारण डॉक्टर से सलाह नहीं लेते.
- क्या है खतरा:प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षणों में पेशाब करने में समस्या (बार-बार पेशाब आना, धार का कमज़ोर होना), पेशाब या वीर्य में खून आना, पीठ, कूल्हे या पेट के निचले हिस्से में दर्द शामिल हो सकते हैं. इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ करने या नियमित जांच (जैसे PSA टेस्ट) न कराने से कैंसर का पता देर से चलता है, जब वह ज़्यादा फैल चुका होता है और उसका इलाज मुश्किल हो जाता है.
- क्या करें: 40-50 साल की उम्र के बाद पुरुषों को अपने डॉक्टर से मिलकर प्रोस्टेट कैंसर की स्क्रीनिंग (screening) के बारे में सलाह लेनी चाहिए. डॉक्टर आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और अन्य जोखिम कारकों के आधार पर आपको बताएंगे कि आपको कब और कैसे जांच करवानी चाहिए. लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें और तुरंत डॉक्टर से मिलें.
इन आदतों को बदलकर और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाकर, पुरुष प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.
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